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Monday, October 23, 2006

ऐ दोस्त तेरी यादों को कैसे सजदा करें


किससे करें शिकवा, किससे शिकायत करें
ऐ दोस्त तेरी यादों को कैसे सजदा करें

उठते हुए भंवर में फंसी हुई है कश्ती
कब तक करें इंतजार कैसे किनारा करें

साथ मिलकर हमनें लिखे जो गीत कभी
किनसे छुपाया करें, कहाँ गुनगुनाया करें

पलकों में छुपी है भीगी-भीगी पंक्तियाँ
कहाँ बाँटे दर्द यह कहाँ मुस्कुराया करें

प्रश्न बहुत उठते है जहन में मेरे
कैसे बहलाए इनको, कैसे सुलझाया करें

किससे करें शिकवा, किससे शिकायत करें
ऐ दोस्त तेरी यादों को कैसे सजदा करें

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6 कविताप्रेमियों का कहना है :

Pramendra Pratap Singh का कहना है कि -

इन्‍तजार कराया आपने,
देकर रविवार का आस।
कविता आई सोमवार को,
बढिया रहा आपका प्रयास।।

bhuvnesh sharma का कहना है कि -

वाह कविराज बहुत अच्छी रचना है

Shuaib का कहना है कि -

बहुत बढिया

Pratik Pandey का कहना है कि -

उत्तम, अत्युत्तम... कविराज, अगले रविवार की प्रतीक्षा रहेगी।

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

कविराज,
सम्भवतः पहली बार आपने तुकान्त पोस्ट किया है।
इसमें संदेह नहीं कि आपके पर कविता के नई ऊँचाईयों को छू रहे हैं।

jeje का कहना है कि -

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