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Monday, February 04, 2008

दक्षिण का कवि उत्तर की पाठिका (जनवरी अंक के परिणाम)


हिन्द-युग्म के लिए और पूरे हिन्दी जगत के लिए यह बहुत खुशी की बात है कि हिन्द-युग्म लोगों का रूझान हिन्दी की दिशा में बढ़ाने में धीरे-धीरे सफल हो रहा है। एक बार पुनः हम यह कह पा रहे हैं कि जनवरी २००८ माह की 'यूनिकवि एवम् यूनिपाठक प्रतियोगिता' में कुल ५० प्रतिभागी कवि रहे जोकि अब तक की अधिकतम संख्या है। आज हम इसी अंक के परिणामों के साथ आपके समक्ष प्रस्तुत हैं।

जब कविताएँ अधिक हों, तो निर्णय भी उसी अनुपात में मुश्किल हो जाता है। फिर भी किसी न किसी को तो विजेता होना ही होता है। पूर्व की भाँति इस बार भी ४ चरणों में जजमेंट हुआ (पहले चरण में १ जज, दूसरे में २ और तीसरे व चौथे चरण में १-१ जज) ।

हिन्द-युग्म की पहली प्रतियोगिता पिछले वर्ष जनवरी माह में ही आयोजित हुई थी, और एक बहुत सुखद संयोग है कि पिछली बार का यूनिकवि (पहला यूनिकवि आलोक शंकर) दक्षिण भारत से था, और इस बार का यूनिकवि भी दक्षिण से है। एक और संयोग यह भी है कि अब ये दोनों यूनिकवि बेंगलूरु शहर में ही निवास कर रहे हैं।

यूनिकवि- केशव कुमार 'कर्ण'
परिचय-पिता- श्री राघवेन्द्र प्रसाद
माता- श्रीमती वीना कर्ण
जन्म तिथि- ०१.०२.१९८०
(एक फरबरी उन्नीस सौ अस्सी )
पैतृक स्थान - रेवारी
जिला- समस्तीपुर, बिहार।
प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा- पैतृक गांव में।
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा से स्नातकोत्तर हिन्दी में प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त !
नालंदा मुक्त विश्व विद्यालय से पत्रकारिता एवं जन-संचार में स्नातकोत्तर डिप्लोमा !
बिहार से स्वतंत्र पत्रकारिता की शुरुआत कर बंगलोर से प्रकाशित हिन्दी साप्ताहिक जनाग्रह में सात मास तक उप सम्पादकीय दायित्व निभाने के बाद सम्प्रति बंगलोर में ही एक कंपनी ऑनमोबाइल ग्लोबल लिमिटेड में बतौर स्क्रिप्ट राइटर कार्यरत !
साहित्य से अनुरक्ति- विरासत में ! अध्ययन से और दृढ़तर !

पुरस्कृत कविता- स्मृति शिखर से

स्मृति शिखर से चला प्रखर ,
वह मधुर पवन वह मुखर पवन !
उर सिहर गया, क्षण ठहर गया,
और अतीत बना दर्पण !
स्मृति शिखर से चला प्रखर ,
वह मधुर पवन वह मुखर पवन !
कर यत्न दिया विश्राम इसे,
पीड़ा उर की बतलाऊं किसे ?
यह काल आवरण ओढ़ पड़ी,
स्मरण पटल में जा गहरी !
पर पुनः पवन से पा जीवन,
फिर जाग उठी यादों की अगन !
स्मृति शिखर से चला प्रखर ,
वह मधुर पवन वह मुखर पवन !
नीरव नीड़ में शांत शिथिल,
दृग में अतीत का स्वप्न लिए !
किस्मत को कौन बदल सकता,
क्या मिला बहुत प्रयत्न किए !
जगा गयी स्मरण बिहग को,
अरुणोदय की तीक्ष्ण किरण !
स्मृति शिखर से चला प्रखर ,
वह मधुर पवन वह मुखर पवन !
अकुला कर दिन बिहग बोला,
अलसाई निज पलकें खोला !
सुदीर्घ रत का प्रात जान,
खग उर नीड़ से पंख तान !
पंछी पर अंकुश कौन रखे,
पा गया निमिष में दूर गगन !
स्मृति शिखर से चला प्रखर ,
वह मधुर पवन वह मुखर पवन !
अम्बर का अंत कहाँ पाबै,
बीते हुए कल कैसे आबे !
आ गया गगनचर फिर थक के,
आशा फिर मिलने की रख के !
उर धीर भरा सुर पीड भरा,
वो गाने लगा हो मस्त मगन !
स्मृति शिखर से चला प्रखर ,
वह मधुर पवन वह मुखर पवन !



प्रथम चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ८॰०५
स्थान- छठवाँ


द्वितीय चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ६॰३, ५॰८, ८॰०५(पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ६॰७१६
स्थान- आठवाँ


तृतीय चरण के ज़ज़ की टिप्पणी-शब्दों की पुनरावृत्ति, कथ्य में भटकाव।
अंक- कथ्य: ४/२ शिल्पः ३/२ भाषा: ३/२
कुल- १०/६
स्थान- पाँचवाँ


अंतिम ज़ज़ की टिप्पणी-
रचना का प्रवाह, कवि की भाषा पर पकड और बिम्ब सभी सराहनीय हैं। संस्कृतनिष्ठता से साधारण हिन्दी और यदा-कदा देशज शब्दों का जिस तरह कवि ने संयोजन किया है कि वे प्रयोग की दृष्टि से उदाहरण बन गये हैं।
कला पक्ष: ९/१०
भाव पक्ष: ८॰५/१०
कुल योग: १७॰५/२०



पुरस्कार- रु ३०० का नक़द ईनाम, रु १०० तक की पुस्तकें और प्रशस्ति-पत्र। चूँकि इन्होंने फरवरी माह के अन्य तीन सोमवारों को भी अपनी कविताएँ प्रकाशित करने की सहमति जताई है, अतः प्रति सोमवार रु १०० के हिसाब से रु ३०० का नक़द ईनाम।

यूनिकवि केशव कुमार 'कर्ण' तत्व-मीमांसक (मेटाफ़िजिस्ट) डॉ॰ गरिमा तिवारी से ध्यान (मेडिटेशन) पर किसी भी एक पैकेज़ (लक को छोड़कर) की सम्पूर्ण ऑनलाइन शिक्षा पा सकेंगी।



हमारे अत्यंत सक्रिय पाठक आलोक सिंह 'साहिल' इस बार यदा-कदा ही दिखे। हाँ सीमा गुप्ता, अल्पना वर्मा, महक आदि हमेशा की तरह ही हमें खूब पढ़ती रहीं। अल्पना वर्मा से हमने हिन्द-युग्म की सक्रिय कार्यकर्ता बनने के लिए निवेदन किया है ताकि हिन्द-युग्म को वो नई दिशा दे सकें। कृपया वो इसे भी एक सम्मान की तरह स्वीकार करें।

सीमा गु्प्ता पहले रोमन में टिप्पणियाँ करती थीं, मगर अब देवनागरी में करने लगी हैं। मतलब हम अपने उद्देश्य में सफल रहे और सीमा गुप्ता यूनिपाठिका बनने में सफल रहीं। सीमा गुप्ता अच्छी पाठिका ही नहीं वरन अच्छी कवयित्री भी हैं, हिन्द-युग्म के मंच पर प्रकाशित होती रही हैं।

यूनिपाठिका- सीमा गुप्ता

11-10-1971 को अम्बाला में जन्मी कवयित्री सीमा गुप्ता ने अपनी पहली कविता 'लहरों की भाषा' तब ही लिख ली थी जब वो चौथी कक्षा की छात्रा थीं। यहीं से इन्हें लिखने की प्रेरणा मिली। वाणिज्य में परास्नातक कवयित्री सीमा गुप्ता नव शिखा पोली पैक इंडस्ट्रीज, गुड़गाँव में महाप्रबंधक की हैसियत से काम कर रही हैं। इनकी रचनाएँ 'हरियाणा जगत', 'रेपको न्यूज़' आदि जैसे कई समाचार पत्रों में कई बार प्रकाशित हो चुकी हैं। मुख्यरूप से ये दुःख, दर्द और वियोग आदि पर कविताएँ लिखती हैं, जिसका ये कोई कारण नहीं बता पाती हैं, बस्स खुद को सहज महसूस करती हैं।

साहित्य से अलग इनकी दो पुस्तकें 'गाइड लाइन्स इंटरनल ऑडटिंग फॉर क्वालिटी सिस्टम' और 'गाइड लाइन्स फॉर क्वालिटी सिस्टम एण्ड मैनेज़मेंट रीप्रीजेंटेटीव' प्रकाशित हो चुकी हैं।

संपर्क-
सीमा गुप्ता
महा प्रबंधक,
नव शिखा पोली पैक इंडस्ट्रीज
प्लॉट नं॰ १९४, फेज़-१
उद्योग विहार, गुड़गाँव- १२२००१



पुरस्कार- रु ३०० का नक़द ईनाम, रु २०० तक की पुस्तकें और प्रशस्ति पत्र।

यूनिपाठिका सीमा गुप्ता तत्व-मीमांसक (मेटाफ़िजिस्ट) डॉ॰ गरिमा तिवारी से ध्यान (मेडिटेशन) पर किसी भी एक पैकेज़ (लक को छोड़कर) की सम्पूर्ण ऑनलाइन शिक्षा पा सकेंगी।



शैलेश चंद्र जमलोकि की टिप्पणियाँ दिन-प्रतिदिन व्यस्क होती जा रही हैं, वो एक पाठक से अच्छे समीक्षक बनते जा रहे है, मगर टिप्पणियाँ करने में नियमित नहीं है, जबकि सबसे अधिक की संख्या में हिन्द-युग्म पर टिप्पणियाँ वही करते हैं। इसलिए एक बार फिर से हम इन्हें दूसरे स्थान का पाठक चुनते हैं और यह उद्‌घोषणा करते हैं कि विश्व पुस्तके मेला २००८ से इन्हें कुछ पुस्तकें प्रेषित करेंगे।

तीसरे स्थान पर हमने पाठिका महक को चुना है, यद्यपि इन्होंने सभी टिप्पणियों को रोमन में ही लिखा है, फिर भी ये पढ़ने में बहुत सक्रिय हैं। हम इनसे आग्रह करेंगे कि कृपया ये भी हिन्दी में टंकण करना आरम्भ कर दें। एक-दो दिनों में इतनी अभ्यस्त हो जायेंगी कि हिन्दी में कमेंट लिखने में आनंद मिलने लगेगा। इन्हें हमप्रो॰सी॰बी॰ श्रीवास्तव 'विदग्ध' की पुस्तक 'वतन को नमन' भेंट करते हैं।

चौथे स्थान के पाठक के रूप में हमने चुना है दिव्य प्रकाश दूबे को, जो हिन्द-युग्म पढ़ते ज़रूर कम हैं, लेकिन जहाँ भी टिप्पणी करते हैं सशक्त हस्ताक्षर छोड़ जाते हैं। इन्होंने 'क्या यही प्यार है' वाले विमर्श को बहुत सुंदर गति दी है। इन्हें पाना भी हिन्द-युग्म का सौभाग्य है। इन्हें भी हम प्रो॰सी॰बी॰ श्रीवास्तव 'विदग्ध' की पुस्तक 'वतन को नमन' भेंट करते हैं।

इसके अतिरिक्त दिव्या माथूर, मधु, ममता गुप्ता, गीता पंडित आदि पाठिकाओं ने भी हिन्द-युग्म को खूब पढ़ा और हम आशा करते हैं कि ये भी इतना पढ़ेंगी कि यूनिपाठिका का निर्णय मुश्किल हो जायेगा।

दिवाकर मिश्र भी हमेशा की तरह फार्म में थे। काव्य-पल्लवन के ताज़े अंक पर इनकी प्रतिक्रियाएँ तो देखते ही बनती हैं।

हम अवनीश एस॰ तिवारी का विशेष धन्यवाद देना चाहेंगे जिनके प्रयासों से हिन्द-युग्म को नये पाठक ही नहीं वरन स्थान-स्थान पर सम्मान भी मिल रहा है।

टॉप १० कवियों के अन्य ९ कवियों के नाम जिन्हें कथाकार सूरज प्रकाश द्वारा सम्पादित पुस्तक 'कथा दशक' की स्वहस्ताक्षरित प्रति भेंट की जायेगी और जिनकी कविताएँ एक-एक करके प्रकाशित होंगी, निम्नलिखित हैं-

पंकज रामेन्दू 'मानव'
डॉ॰ मीनू
कवि दीपेन्द्र
विनय के जोशी
हरिहर झा
विपिन चौधरी
दिव्य प्रकाश दूबे
प्रेम सहजवाला
बर्बाद देहलवी

उन अन्य दस कवियों के नाम जो टॉप २० की शोभा बढ़ा रहे हैं और जिनकी कविताएँ १-१ करके २९ फरवरी से पहले प्रकाशित होंगी-

सुनील प्रताप सिंह
सुदर्शन गुप्ता 'मौसम'
ममता गुप्ता
पावस नीर
संजीव कुमार गोयल
आलोक सिंह 'साहिल'
प्रगति सक्सेना
नीतू तिवारी
अमिता मिश्र 'नीर'
पुष्यमित्र

उपर्युक्त सभी कवियों से निवेदन है कि २९ फरवरी २००७ तक न अपनी कविता कहीं प्रकाशित करें और न हीं कहीं प्रकाशनार्थ भेजें।

इस बार कवियों की सूची लम्बी है। निम्नलिखित कवियों का भी हम धन्यवाद करते हैं जिन्होंने प्रतियोगिता में भाग लेकर इसे सफल बनाया और निवेदन करते हैं कि आगे भी इसी प्रकार हिन्द-युग्म के सभी आयोजनों में शिरकत करते रहें।

राजन पाठक
दिव्या माथूर
सुमन कुमार सिंह
महेश चंद्र गुप्ता 'खलिश'
अश्वनी कुमार गुप्ता
शिवानी सिंह
निर्भीक प्रकाश
सतीश वाघमरे
अवनीश एस॰ तिवारी
अजय शुक्ला
सीमा गुप्ता
शम्भू नाथ
जगदीप सिंह
महक
पूरण भारद्वाज
साकेत सम्राट
राजीव सारस्वत
अमित खरे
नदीम अहमद 'कवीश'
नरेश राणा
जावेद अली 'खुश्बू'
रविन्दर टमकोरिया 'व्याकुल'
अंजु गर्ग
रूपेश श्रीवास्तव
पंकज झा
शैलेश चंद्र जमलोकि
शाहिद 'अजनबी'
अमरदीप
विवेक रंजन श्रीवास्तव 'विनम्र'
संजय साह

सभी विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई।

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21 कविताप्रेमियों का कहना है :

seema gupta का कहना है कि -

"मेरी आँखों की नमी पे ना जाओ दोस्तों , की आज मैं बहुत खुश हूँ ,

दिल को कर लेने दो कुछ हसरतें बयान , की आज मैं बहुत खुश हूँ "

" हिंद युग्म का , सभी कवी मित्रों का और पाठकों का मैं दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ , जिनके परस्पर सहयोग और प्रेरणा से आज मुझे ये उपलब्धी प्राप्त हुई है . मैं जानती हूँ की अभी मुझ मे बहुत सारी कमियां है और आपने उन सब कमियों को अपना कर मुझे हमेशा ही प्रोत्सहीत किया है.

"हिंद युग्म द्वारा किसी भी रूप मे सम्मानित किया जाना अपने आप मे एक गौरव और बहुत बडी उपलब्धी है और आज उस उपलब्धी को पाकर मैं बहुत खुश हूँ . आज मैं ये खुशी आप सब के साथ बांटना चाहती हूँ , मैं हिंद युग्म द्वारा पुरस्कृत धनराशी को हिंद युग्म को समर्पित करना चाहती हूँ जिसे हिन्दयुग्म अंशदान के रूप मे स्वीकार कर मुझे क्र्ताघ्य करें .
"मुझे उम्मीद है की आप सब का सहयोग आगे भी इसी प्रकार मुझे मिलता रहेगा और मैं अपने लेखन मे सुधार कर सकूंगी जहाँ मैं अभी बहुत पीछे हूँ .
अंत मे एक बार फ़िर आप सब का दिल से शुक्रिया "

seema gupta का कहना है कि -

स्मृति शिखर से चला प्रखर ,
वह मधुर पवन वह मुखर पवन !
उर सिहर गया, क्षण ठहर गया,
और अतीत बना दर्पण !
स्मृति शिखर से चला प्रखर ,
वह मधुर पवन वह मुखर पवन !
कर यत्न दिया विश्राम इसे,
पीड़ा उर की बतलाऊं किसे ?
केशव कुमार 'कर्ण' जी युनीकवी की उपलब्धी पर बहुत बहुत बधाई ,आपकी कवीता ही अपने आप बयान करती है की इस उपलब्धी के हकदार आप हैं, दिल से शुभकामनाएं .

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

उत्तर से मिली पाठिका, दक्षिण से कविराज..
ऐसे निर्मल प्रेम पर हिन्द-युग्म को नाज..
हर कोने से मिल रही नयी नयी आवाज..
अतुलित प्रेम प्रसाद पर फक्र युग्म को आज.
हिन्द-युग्म की ओर से बधाई सहस्र हजार..
ऐसे ही मिलता रहे, अपनापन हर बार..

- सभी को बहुत बहुत बधाई...

seema gupta का कहना है कि -

शैलेश चंद्र जमलोकि जी सही कहा गया है आपके बारे मे की आप एक बहुत अच्छे समीक्षक हैं, आप निष्पक्ष होकर अपनी राय देतें हैं . आपकी कवीता का इंतजार है , आपको दिल से शुभकामनाएं .

seema gupta का कहना है कि -

महक आपको भी दिल से ढेरों बधाईयाँ, आप भी अच्छी पाठक हैं कोशिश करें हिन्दी मे कमेंट करने की ,कोई मुश्किल नही है,
(all the best for future)

seema gupta का कहना है कि -

दिव्य प्रकाश दूबे जी आपकी राय कवीतों पर और आपकी कवितायें बहुत अच्छी होती हैं . टिप्पणी बहुत सुलझी हुई और अर्थपूर्ण होती हैं. दिल से बधाईयाँ .

seema gupta का कहना है कि -

अल्पना वर्मा से हमने हिन्द-युग्म की सक्रिय कार्यकर्ता बनने के लिए निवेदन किया है ताकि हिन्द-युग्म को वो नई दिशा दे सकें। कृपया वो इसे भी एक सम्मान की तरह स्वीकार करें।
" अल्पना जी ये पंक्तियाँ पढ़कर मुझे बहुत गर्व हो रहा है आप पर, आपके सक्रिय कार्यकर्ता बनने पर हिंद युग्म को और हम लोगों को भी एक अच्छा मार्गदर्शन मिलेगा "
शुभकामनाएं सहित आपके मार्गदर्शन के इंतजार मे.....

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

सभी मित्रों को हार्दिक बधाई |
उत्तर से दक्षिण तक के इस सफलता के लिए हिन्दी युग्म को बधाई |

अवनीश तिवारी

Unknown का कहना है कि -

सभी विजेताओ और प्रतियोगिओ को बधाई
सुमित भारद्वाज

दिवाकर मणि का कहना है कि -

सबसे पहले "हिन्द-युग्म" परिवार के प्रत्येक सदस्य को कल "विश्व पुस्तक मेला" मे हुए "पहला सुर" के विमोचन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
*केशव जी को जनवरी, ०८ का "युनिकवि" एवं सीमा जी को "युनिपाठिका" बनने पर बहुत-सी शुभकामनाएँ.

अब वह दिन दूर नहीं जब "हिन्द-युग्म" की आवाज सभी हिन्दी भाषियों के लिए नाज का विषय होगी.

RAVI KANT का कहना है कि -

केशव जी, सीमा जी, शैलेश जी, दिव्य प्रकाश जी, महक जी, अवनीश जी एवं अल्पना वर्मा जी, सभी को बधाई। युग्म पटल का विस्तृत होना हिन्दी के लिए शुभ संकेत है।

mehek का कहना है कि -

सबसे पहेले केशव जी को बहुत बधाई ,स्मृति शिखर कविता बहुत खूब बनी है.|
सीमाजी आपको भी यूनी पाठक बन जाने के लिए हार्दिक बधाई..हिन्दयुग्म सच में बहुत अच्छा मंच है |कुछ ही दिनों में हमने बहुत कुछ सिखा है |
शैलेंद्रजी,दिव्याप्रकाशजी आप को भी हार्दिक बधाई.|
आगे हम जरुर कोशिश करेंगी की हिन्दी में तिपनी करें .
आप सभी के स्नेह के लिए तहे दिल से शुक्रिया.महक

mehek का कहना है कि -

अल्पनाजी आपको भी बधाई ,हिन्दयुग्म के सक्रीय कार्यकर्ता बन जाने के लिए.आपसे बहुत कुछ सिखाने मिलेगा हमे.

शोभा का कहना है कि -

यूनिकवि केशव कुमार जी तथा यूनि पाठिका सीमा जी को हार्दिक बधाई ।

Nikhil का कहना है कि -

केशव जी,
यूनिकवि बनने की बहुत-बहुत बधाई....
सच कहूं तो आपकी कविता मुझे २-३ बार पढ़कर गले उतारनी पड़ी...आपको एक राय है कि आज का पाठक बड़ा अस्थिर-सा है...सो, शब्द-चयन बहुत ध्यान से करना पड़ता है कवि को...इस पर ध्यान दें.,...
आपकी कविता का कथ्य या ध्येय मुझे अब तक समझ नहीं आया...
इससे आपकी कविता या आपके कौशल की छवि कहीं से कम नहीं हुई...हो सकता है कि आपकी अन्य कवितायें मेरे रुझान की हों... आपका स्वागत है हमारे परिवार में...
निर्णायकों से मैं क्या कहूं....उनकी समझ निश्चय ही मेरे से ज्यादा है तभी तो वो यूनिकवि चुन रहे हैं....

निखिल आनंद गिरि

सीमा जी,
आपका युनिपाठिका बनना एक औपचारिक घोषणा भर है...हिन्दयुग्म पर आप बहुत पहले से अपना सिक्का जमा चुकी हैं,,...आप जैसे समर्पित लोगों की वजह से कविता और हमारा उद्देश्य सफलते से आगे बढ़ पा रहा है....

Alpana Verma का कहना है कि -

सबसे पहले तो देर से टिप्पणी देने के लिए माफ़ी चाहूंगी.इंटरनेट सेवा खराब होने का कारण आप को समाचारों में पता चल ही गया होगा.
सब को ज्ञात ही होगा कि खड़ी देशों में पूरी तरह इंटरनेट सेवा बहाल होने में अभी और ४-५ दिनों लगेंगे.
***केशव जी,
यूनिकवि बनने की बहुत-बहुत बधाई....आप की कविता पसंद आयी .कुछ शब्द कठिन भी लगे.आप की भाषा पर पकड़ बहुत मजबूत लगती है.
***सीमा जी बधाई --क्या कहने! आप को यूनिपाठक देख कर मन बहुत खुश हुआ.
**महक -मैं भी टिप्पणियां हिन्दी में -कॉपी-पेस्ट कर के ही पोस्ट करती हूँ.बहुत आसान है--
आप भी वैसा ही कर सकती हैं.
**हिंद युग्म की टीम का आभार प्रकट करती हूँ कि उन्होंने मुझे इस लायक समझा.
मुझे ख़ुद मालूम नहीं मुझ में यह जिम्मेदारी सँभालने की पर्याप्त क्षमता है भी या नहीं.हाँ ,प्रयास जरुर करुँगी.
हिन्दी भाषा के लिए आप सब इतना कुछ कर रहे हैं अगर मैं भी किसी काम आ सकूं तो इसे अपना सौभाग्य मानूंगी.
आभार सहित

dr minoo का कहना है कि -

स्मृति शिखर से चला प्रखर ,
वह मधुर पवन वह मुखर पवन !
karn...congratulations...nice poem..
seema ji...badhai...

dr minoo का कहना है कि -

स्मृति शिखर से चला प्रखर ,
वह मधुर पवन वह मुखर पवन !
nice poem keshav...
seema ji...congratulations...

गीता पंडित का कहना है कि -

केशव जी .....बधाई ,स्मृति शिखर कविता बहुत खूब .......सीमाजी आपको भी यूनी पाठक के लिए .....बधाई..

सभी को बहुत बहुत बधाई...

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

अभी तक जितने भी यूनिकवि हुए हैं, उसमें यह रचना बहुत कमज़ोर मालूम होती है। कथ्य भटका हुआ है, कवि पुराने शिल्प में, पुराने कथ्प में लिप्त दिखता है। यद्यपि यूनिकवि एक जिम्मेदारी है, यह सम्मान मिलते ही बेहतर लेखन का दायित्व अपने आप जाता है कवि के कंधों पर। आशा है केशव कुमार 'कर्ण' इस जिम्मेदारी का निर्वहन करेंगे।

सीमा गुप्ता, आलोक सिंह साहिल, अल्पना वर्मा, महक, अवनीश तिवारी, गीता पंडित आदि की पठनियता आदर के योग्य है। मुझे आपसभी से बहुत प्रेरणा मिली है।

सभी विजेताओं को बधाई और अन्य प्रतिभागियों को अगली बार के लिए शुभकामनाएँ।

आशीष "अंशुमाली" का कहना है कि -

मेरो मन अनत कहां सुख पावै... यह प्रश्‍न 'सूर' से शुरू होकर आज तक अपनी व्‍यंजना की खोज अन्‍यान्‍य कवियों के माध्‍यम से कर रहा है। ...प्रखरता, मधुरता और मुखरता के विरोधी बिम्‍बों को एकसाथ आत्‍मसात करती हुई यह कविता एकबार में नहीं पचेगी ...और यदि कहीं पच गयी तो पाठक अरुणोदय के समय सूर्य-किरणों की तीक्ष्‍णता से घायल हुए बिना नहीं रह सकेगा।

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