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Tuesday, January 15, 2008

आप सभी का यूनि ग़ज़ल शिक्षक की कक्षाओं में स्‍वागत है । मैं प्रयास करूंगा कि सीधे सादे तरीके से आपको वो सिखा सकूं जिसको मुश्किल माना जाता है ।


यूनि गज़ल शिक्षक ये ही नाम दिया गया है मुझे और मैं प्रयास करूंगा कि शिक्षण की मर्यादा पर पूरा उतर सकूं । मैं ये तो नहीं कहता कि मैं ग़ज़ल का कोई विशेषज्ञ हूं फिर भी जितना भी जानता हूं उसको आप सब के साथ बांटना चाहूंगा । मेरा ये प्रयास उन लोगों के लिये है जो सीखने की प्रक्रिया में हैं उन लोगों के लिये नहीं जो ग़ज़ल के अच्‍छे जान‍कार हैं । वे लोग तो मुझे बता सकते हैं कि मैं कहां ग़लती कर रहा हूं । क्‍योंकि मैं वास्‍तव में एक प्रयास कर रहा हूं कि वे लोग जो हिंदी भाषी हैं वे भी ग़ज़ल की ओर आएं । इसलिये क्‍योंकि मशहूर शायर बशीर बद्र साहब ने ख़ुद कहा है कि ग़ज़ल का अगला मीर या गा़लिब अब हिंदी से ही आएगा । और आजकल मुशायरों में भी हिंदी के शब्‍दों वाली ग़ज़ल को ही ज्‍़यादा पसंद किया जाता है । फारसी के मोटे मोटे शब्‍द अब लोगों को समझ में ही नहीं आते हैं तो दाद कहां से दें । जैसे बशीर बद्र जी का एक शेर है ' रूप देश की कलियों पनघटों की सांवरियों कुछ ख़बर भी है तुमको, हम तुम्‍हारे गांव में प्‍यासे प्‍यासे आये थ्‍ो प्‍यासे प्‍यासे जाते हैं ' ये पूरा का पूरा शेर ही हिंदी मैं है मगर पूरे वज़न में है ये बहरे मुक्‍़तजब का शेर है ।

तो अब ये ही होगा आने वाला समय हिंदुस्‍तानी भाषा का है अब न कुंतल श्‍यामल चलना है और न ही शबो रोज़ो माहो साल चलना है अब तो वही कविता पसंद की जाएगी जो आम आदमी का भाषा में बात करेगी । मुनव्‍वर राना और बशीर बद्र जैसे शायरों को उर्दू अदब में बहुत अच्‍छा मुकाम नहीं दिया जाता है मगर जनता के दिलों में तो उनका आला मुकाम है । इसलिये क्‍योंकि उन्‍होने ग़ज़ल को उस भाषा में कहा जिस भाषा में जनता समझ पाए । मेरे विचार से कविता में भाव और शब्‍द के साथ व्‍याकरण भी हो तभी वो संपूर्ण होती है और फिर रह जाता है केवल उसका प्रस्‍तुतिकरण जो कवि या शाइर पर निर्भर करता है । निदा फाज़ली जैसे लोग हिंदी में ही कह कर आज इतने मक़बूल हो गये हैं । वो लोग जो ग़ज़ल कहना चाहते हैं वो समझ लें कि कोई ज़रूरी नहीं है उर्दू और फारसी के शब्‍द रखना आप तो उस भाषा में कहें जिस में आम हिन्‍दुस्‍तानी बात करता है । मशहूर शायर कै़फ़ भोपाली की बेटी परवीन क़ैफ़ मुशायरों में इन पंक्तियों पर काफी दाद पाती हैं ' मिलने को तो मिल आएं हम उनसे अभी जाकर, जाने में मगर कितने पैसे भी तो लगते हैं ' कहीं कोई कठिन शब्‍द नहीं हैं जो है वो केवल एक आम भाषा है । एक दो कक्षाओं तक तो मैं ग़ज़ल लिखने के लिये आपको तैयार करनी की भूमिका बांधूंगा फिर जब आप तैयार हो जाएंगे तो फिर मैं आपकी क्‍लास प्रारंभ कर दूंगा ।

बात व्‍याकरण की हिंदी में अरूज़ जिसका मतलब संस्‍कृत अरूज़ से होता है, जिसे छंद कहा गया और जिसको लेकर पिंगल शास्‍त्र की रचना की गई जिसमें हिंदी के छंदों का पूरा व्‍याकरण है । उर्दू में उसे अरूज़ कहा गया । ग़ज़ल में चूंकि बातचीत करने का लहज़ा होता है इसलिये ये छंद की तुलना में ज्‍़यादा लोकप्रिय हो गई । पिंगल और छन्‍द के क़ायदे बहुत मुश्किल होने के कारण और मात्राओं में जोड़ घट को संभलना थोड़ा मुश्‍िकल होने के कारण हिंदी में भी उर्दू का अरूज़ चल पड़ा । अरबी अरूज़ के पितामह अल्‍लामा ख़लील बिन अहमद थे जो 1300 साल पहले हुए थे यानि 8 वीं सदी में । वे यूनानी ज़बान को जानते थे अत: उन्‍होंने अरबी अरूज़ की ईज़ाद में यूनानी छंद शास्‍त्र की मदद ली हालंकि संस्‍कृत पिंगल तो उनकी पैदाइश के भी पहले का है और वे उसके जानकार भी थे पर आसान होने के कारण उन्‍होंने यूनानी अरज़ल की मदद ली । अलबरूनी ने अपनी किताब किताबुल हिंद में लिखा है कि पद बनाने का यूनानी तरीका भी वही है जो हिन्‍दुस्‍तानियों का है हिंदी में भी दो हिस्‍से होते हैं जिनको पद कहा जाता है । यूनानी में पदों को रजल कहा जाता है । वही पद ग़ज़ल में भी हैं ।

एक क़ामयाब शायर होने के लिये चार चीज़ें ज़रूरी हैं विचार, शब्‍द, व्‍याकरण और प्रस्‍तुतिकरण । विचार तभी होंगें जब आप अपने समय की नब्‍ज़ से परिचित होंगें । मेरे गुरूवर कहते हैं कि क्‍यों नहीं देखो राखी सावंत को, देखो और उसमें आज के दौर की नब्‍ज़ टटोलो कि समाज की दिशा क्‍या है । आज हम तुलसीदास की तरह ' तुलसी अब का होंइगे नर के मनसबदार' कह कर बचनहीं सकते कवि होने के नाते हमारी जि़म्‍मेदारी है कि हम समाज पर नज़र रखें । शब्‍द दूसरी चीज़ है जिसकी ज़रूरत है शब्‍द तभी आते हैं जब अध्‍ययन होता है, कहीं पढ़ा था मैंने कि यदि आप एक पेज लिखना चाहते हो तो पहले 1000 पेज पढ़ो तब आप में एक पेज लिख्‍ने की बात आएगी । तो शब्‍द जो शब्‍दकोश से आते हैं उनका शब्‍दकोश तभी समृद्ध होगा जब आप पढ़ेंगें । यहां एक बात कह देना चाहता हूं कि श्‍ब्‍द ना तो उर्दू के, फारसी के या संस्‍कृत के हों जिनका अर्थ सुनने वाले को डिक्‍शनरी में ढूंढना पड़े, वे ही शब्‍द लें जो आम आदमी के समझ में आ जाए क्‍योंकि कविता उसी के लिये तो लिखी जा रही हैं । जैसे ' सर झुकाओगे तो पत्‍थर देवता हो जाएगा, इतना मत चाहो उसे वो बेवफा हो जाएगा' इसमें सब कुछ वही है जो आम आदमी का है । बात यूं लग रही है कि प्रेमिका की हो रही है पर सोचो तो बात तो राजनीति पर कटाक्ष भी कर रही है , राजनीति को ध्‍यान में रखकर ये शेर फि़र से देखें । तीसरी चीज़ है व्‍याकरण जिसको उर्दू में अरूज़ कहा जाता है वो भी ज़रूरी है क्‍योंकि जब तक रिदम नहीं होती तब तक तो बात भी मज़ा नहीं देती है तो अरूज़ बिना कविता प्रभाव पैदा नहीं करती । निराला की कविता 'वो तोड़ती पत्‍थर' नई कविता है जो छंदमुक्‍त होती है पर छंदमुक्‍त होने के बाद भी उसमें रिदम है ये रिदम पदा होता है व्‍याकरण से अरूज़ से जो आपको यहां सीखने को मिलेगा । चौंथी चीज़ है प्रस्‍तुतिकरण ये तो आपके अंदर ही होता है किस तरह से आप अपनी कविता या गज़ल को पढ़ते हैं वो आप पर ही निर्भर है । वैसे जब ग़ज़ल अरूज़ के हिसाब से होती है तो उसमें लय स्‍वयं ही आ जाती है । अरूज़ की तराज़ू पर ही ग़ज़ल को कस कर देखा जाता है और कसने वाला होता है अरूज़ी जिसे अरूज़ का ज्ञान होता है । यूनि ग़ज़ल शिक्षक की ओर से सभी छात्रों को पहली कक्षा में आने के लिये शुभकामनाएं कि आप ग़ज़ल की दुनिया में अपना नाम स्‍थापित कर सकें ।


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38 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

shukran,ye gazal ki kaksha shuru karne ke liye,bahut kuch sikhne milega.phir shayad ek din gazal likhne ka hamara khwab bhi pura ho jaye,hum apki pehli vidharti hai.

seema gupta का कहना है कि -

" Thanks for such kind gesture, to start online classes and giving your valuable time to make us understand the process and procedure to write Gazals. we will be definalty going to be benifitted by this.
Thanks and Regards

पारुल "पुखराज" का कहना है कि -

सुबीर जी इस दफ़ा हमारा भी नाम लिख लें……शुक्रिया

नीरज गोस्वामी का कहना है कि -

Subeer Ji
Betabi se intezar hai aap ki class ke shuru hone ka...
Aagaz to ho hichuka hai...Anjaam tak bhi pahunch hi jayenge aap ke saath chalte chalte...
Neeraj

रंजू भाटिया का कहना है कि -

बहुत अच्छी जानकारी ..और नया सीखने की इच्छा है आपसे .शुक्रिया इस जानकारी के लिए !!

Unknown का कहना है कि -

नमस्कार

नीरज भैया के पीछे मेरा भी नाम लिख लें. मेरे स्वर्गीय पिताजी जो उर्दू दां थे. और स्वर्गीय ताऊ जी आजीवन सन्यासी और संस्कृत के परम विद्वान्, दोनों के बीच मैं एक छोटा सा बच्चा, बचपन में एक बार भूल से कह दिया कि
' लफ्जों के बीच में पाला गया हूँ मैं,
है धडकनों में शायरी और स्वासों में गजल है'
... से बड़ी ही डांट और पिटाई. मुझसे अक्सर दोनों ही उच्चारण को लेकर नाराज रहा करते थे . शायद मुझे अब आप सब महानुभावों की क्लास में बैठे हुए जानकर, उन्हें जन्नत में कुछ सुकून मिले. चलिए देखते हैं आपका यह विद्यार्थी कितनी दूर तक जाता है
धन्यवाद

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

मैं भी शामिल हूँ |
इस नए प्रयास के शुभकामनाओं के साथ ...
अवनीश तिवारी

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

नमस्कार गुरुदेव..

विन्डोज के पीछे से मैं भी झाँक रहा हूँ
गजल के श्याम-पट को कब से ताक रहा हूँ
उम्मीद है मुझे भी मिल जायेगी विटामिन
गलियों यूँ ही कब से मिट्टी फाँक रहा हूँ

बहुत बहुत शुक्रिया.. आरम्भिक दौर से ही प्रतीत हो रहा है कि बहुत कुछ मिलने वाला है..

डॉ .अनुराग का कहना है कि -

शुरुआत करने के लिए बधाई,पर ज़रूरी मुद्दे अगला बार उठाएँगे तो ओर बेहतर होगा,जाहिर है लिखने वाला अपने तजुर्बो ओर अपने आईने से देख कर ज़िंदगी की तस्वीर अपने तरीके से रखेगा.'मतला', 'मक़ता', 'बहेर', 'काफिया' आंड 'रदिफ़' जैसी चीज़ो का विस्तार से आम भाषा मे समझना ज़रूरी है.शेर की ख़ासियत ओर मीटर की महत्ता कितनी है,आशा है इस पर भी जानने को मिलेगा.
इंतज़ार रहेगा

शोभा का कहना है कि -

बहुत अच्छे शिक्षक हैं आप सुबीर जी । खूब सरलता से समझाया । मुझे भी गज़ल पसन्द है और अब मैं भी आपकी शिष्या बनकर सीखूँगी ।

Unknown का कहना है कि -

thanks
sumit

SahityaShilpi का कहना है कि -

सुबीर जी! गज़ल कि कक्षा शुरू करने के लिये धन्यवाद. आशा है कि आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा.

Sajeev का कहना है कि -

subeer ji sabse pahle to swagat, shobha ji kah rahi hain ki aapka andaaz bahut bhaya, zara savdhaan kar dun ki daant bhi khoob padhne wali hai, ha ha ha

Shailesh Jamloki का कहना है कि -

पंकज जी.. चरण स्पर्श
आपका आज का पाठ मुझे बहुत अच्छा लगा क्यों की
१) बहुत सरल शब्दों मै समझाया गया है
२) उदाहरण बहुत अच्छे दिए गए है
३) कुछ सीखने से पहले जिस मंच की जरूरत थी, वो बिलकुल सही बैठा
मै कुछ चीजों पर आपका ध्यान खीचना चाहूँगा..
१) आप पाठ समाप्ति से पूर्व सारांश बिंदु लिखे(अगर संभव हो तो) ताकि हम आगे इन बिन्दुओ से ही सारा पाठ जान ले जैसे आज के पाठ के बिन्दुओ को मै इस तरह लिखूंगा (कृपया गलती हों तो खसम प्राथी हू और कृपया सही करें मुझे )
- पूर्ण हिंदी शब्दों के प्रयोग से भी ग़ज़ल बहुत सुन्दर बन सकती है. ग़ज़ल की भाषा आम लोगों तक पहुचे.. ग़ज़ल तब सफल है जब उसका सही मतलब पाठक तक पहुचे .
- अरूज - छंद (संस्कृत और हिंदी ) या ग़ज़ल कहने का लहजा (उर्दू) अथवा व्याकरण
- एक क़ामयाब शायर होने के लिये चार चीज़ें ज़रूरी हैं विचार, शब्‍द, व्‍याकरण और
प्रस्‍तुतिकरण ।
- विचार - वो कथ्य जो हम ग़ज़ल के रूप मै ढालना चाहते है..
- शब्द- कथ्यो को कहने का शब्द माध्यम. अपने विचार भावनाएं पाठक तक पहुचाने का जरिया..
-शब्द ना तो उर्दू के, फारसी के या संस्‍कृत के हों जिनका अर्थ सुनने वाले को डिक्‍शनरी में ढूंढना पड़े, वे ही शब्द लें जो आम आदमी के समझ में आ जाए क्‍योंकि कविता उसी के लिये तो लिखी जा रही हैं ।
- व्याकरण- उरूज -जब तक रिदम नहीं होती तब तक तो बात भी मज़ा नहीं देती है तो अरूज़ बिना कविता प्रभाव पैदा नहीं करती । व्याकरण वही प्रभाव पैदा करती है
-प्रस्तुतीकरण - ये हर आदमी का अपने विचार प्रकट करने का अपना अलग तरीका होता है.. और ये भी ग़ज़ल को प्रभाव शाली बनाता है.
बाकी मुझे आपका पाठ बहुत अच्छा और रोचक लगा... उम्मीद करता हूँ इस पाठ को पढ़ कर हम सभी के मन मै आगे पढ़ने की इच्छा प्रबल हो गयी होगी

सादर प्रणाम,
शैलेश

Alpana Verma का कहना है कि -

सुबीर जी,
पहली कक्षा अच्छी रही.
मैं भी देर से सही मगरअपनी उपस्थिति दर्ज करा देती हूँ.
'सारांश बिंदु ''भी पाठ में देने शैलेश जम्लोकी जी का सुझाव बहुत सही लगा.
सादर धन्यवाद.

Anonymous का कहना है कि -

सुबीर जी मैं आज की कक्षा का शायद आखिरी विद्यार्थी हूँ,मेरी भी हाजिरी चढा लीजिएगा,
धन्यवाद
आलोक सिंह "साहिल"

विश्व दीपक का कहना है कि -

pankaj subhir ji,
hind-yugm par gazal ki kaksha lene ke liye apka bahut bahut dhanyawaad.... apke saanidhya mein hum bhi gazal ke kshetra mein thode aage badh jaayege, aisi aasha hai....

-Vishwa deepak 'tanha'

shivani का कहना है कि -

पंकज जी नमस्कार !ग़ज़ल शिक्षक के रूप में आपका बहुत बहुत स्वागत एवं धन्यवाद !आपको एक शिक्षक के रूप में पा कर मैं अपने आपको बहुत खुशकिस्मत समझ रही हूँ !बस अब तो इंतज़ार है की आप जल्द ही अपनी कक्षाएं आरंभ करें ! अपने शिष्यों की कतार मैं हमारा नाम भी शामिल कर लीजिये !बस अब जल्दी से बता दीजिये की आप अपनी कक्षा कब से शुरू कर रहे हैं !मैं हिंद युग्म की बहुत आभारी हूँ क्यूंकि युग्म के माध्यम से हमें सजीव जी और आप जैसे हीरे मिले हैं जो प्रतिभाओं को समझने और निखारने का साहस रखते हैं !बस अब आप बिना देर किए जल्दी से अपनी कक्षाएं शुरू करें ! आपके इस प्रयास के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं और धन्यवाद !

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

पंकज जी,
यह कक्षा शुरू करने से पहले के 'दो शब्द' मुझे बहुत पसंद आये। इसी से यह लग गया कि हिन्द-युग्म के पाठकों को सौभाग्य से बहुत बढ़िया ग़ज़ल शिक्षक मिल गया है। आपका फ़िर से स्वागत है।

anuradha srivastav का कहना है कि -

आपके शिष्यों की सूची में हम भी है।

सुनीता शानू का कहना है कि -

मेरी उपस्थिती भी दर्ज की जाये...

Anonymous का कहना है कि -

ham bhi aapke student hai sir jee maafi chahnge deri se aaye. aap yanha kakshaa shuru kar rhe aur aur ham COME_WORK home_work ka blog banaane main lage hai..........
aap padhaaye ham........ ham padhkar sab ke saath milkar blog EX solve karnge
:)

A S MURTY का कहना है कि -

YUNI GHAZAL SHIKSHAK KE PAHLE PAATH KA ADDYAYAN KARNE KE PASCHAAT BEHAD KHUSHI HUYI AUR AAPKE IS PRAYAS KI JITNI SARAHANA KI JAYE, WOH KUM HOGI. MERI AUR SE DHER SAARI SHUBKAMNAYEIN IS PRAYAS KE LIYE AUR DHANYAVAD BHI. MUJHE SABSE PAHLE SIRFT EK HI BAAT SAMJHAIYE. GHAZAL KE ANDAR JO SHER LIKHE JAATE HAIN, KYA UNKI SIRFT DO HI PANKTIYAAN HOTI HAIN, YA PHIR TEEN BHI HO SAKTI HAIN. "GHAZAL" FILM KI MASHOOR GHAZAL - RANG AUR NOOR KI BARAAT KISE PESH KAROON - ISKA AGAR UDAHARAN LEIN TOH ISKE ANDAR KE SHERON MEIN TEEN PANKTIYAAN HAIN. KUCH LOGON KA YEH MANANA HAI KI ASAL MEIN YEH GHAZAL HI NAHI HAI. KRUPAYA IS GUTTHI KO SULJHAYEN. DHANYAVAD.

डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी का कहना है कि -

प्रणाम पंकज जी,
विद्यार्थी जीवन से ही गजल से डरता रहा हूं. अध्यापन में भी गजल के किनारे से ही निकल जाता हूं. अभी प्रशंसा नहीं करूंगा, सीखने के बाद ही कुछ कहूंगा. हां आप की कक्षा में तो आ ही गया हूं, पीछे की लाइन में कमजोर विद्यार्थियों की तरह ध्यान रखियेगा एक कुशल शिक्षक की तरह.

GOPAL K.. MAI SHAYAR TO NAHI... का कहना है कि -

एक बेहतरीन शुरुआत है, मै वैसे तो काफ़ी वक्त से लिख रहा हूँ पर जानता हूँ की अभी मेरी ग़ज़लों में वो बात नही आ पाई है, मुझे काफ़ी वक्त से खोज थी ऐसे गुरु की जो मेरी कमी का एहसास दिला कर सही राह दिखा सके..
बधाई एक नई और सार्थक शुरुआत करने के लिए..

कवि राहुल 'राज़' का कहना है कि -

bahut accha laga shayad mera gajal likhane ka khvab pura ho jaega...

खोरेन्द्र का कहना है कि -

bahut achchha laga

Janmejay का कहना है कि -

सोचा किये ये अक्सर - लब्जों का उलझा लच्छा बनता नहीं ग़ज़ल क्यों ....

...अब पढ़ रहा हूँ तुमको तो बुन रही ग़ज़ल है !!

mahi2011 का कहना है कि -

Shukriya. Thanks for tutorials to understand structures of poetry.

karuna kesar का कहना है कि -

Aabhar,aap ki kaksha mein prevesh pa ker mai bahut utsahit hoon.

karuna kesar का कहना है कि -

Aabhar,aap ki kaksha mein prevesh pa ker mai bahut utsahit hoon.

karuna kesar का कहना है कि -

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Asha Joglekar का कहना है कि -

देर से ही स,ही सही जगह पर पहुंच तो गई । अब इससे आगे के पाठ पढूंगी ध्यान से ।

gurpreet singh का कहना है कि -

Maine kewal yahi page parha hai. Kya koi mujhe please btayega Ki agle page par kaise Jana hai.....

कवितार्जुन का कहना है कि -

dil se dhanybaad...
paani me utar kar tujhe faayda kya hai arjun
aag to tere sine meN lagi hai

preet का कहना है कि -

bahut badiya ji

rkkarnani का कहना है कि -

बड़ी देर से आया हूँ
जगह दुरुस्त पाया हूँ
सीखूँगा पूरे मन से
देखें,
कितनी दूर जा पाता हूँ |
My hearty thanks to Pankaj Subir ji for this selfless effort he is continuing to give to help others to learn!


Miguel Long का कहना है कि -

Aw, this was a really nice post. In idea I would like to put in writing like this additionally – taking time and actual effort to make a very good article… but what can I say… I procrastinate alot and by no means seem to get something done.

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