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Friday, February 22, 2008

प्रश्‍नोत्‍तर खंड 2 अरुण जी ने जानना चाहा है कि क्‍या खिलते के साथ चलते का काफिया बनाया जा सकता है ।


        Arun का कहना है कि -

bahut accha laga padhkar, bahut hi accha. mujhe bahut kuchh seekhne ko mila.
ek doubt hai kripya madad keejiye. khilte ke saath Chalte kafiya theek hai kya..........
Arun Mittal Adbhut

उत्‍तर - देखिये खिलते के साथ चलते का काफिया तब ही चल सकता है जब आपने मतले ( ग़ज़ल के प्रथम शेर) में खिलते के साथ मिलते, हिलते जैसी बंदिश नहीं लगाई हो । क्‍योंकि मैंने पहले ही कहा है कि  आपका मतला ही तय करता है कि आगे आपके काफिये क्‍या होने हैं । अगर आपने मतले में खिलते के साथ ढलते को काफिया बनाया है तो अब आप स्‍वतंत्र हैं अब आप आगे के शेरों में पलते भी ले सकते हैं और हिलते भी । क्‍योंकि आपने आपने आप को बंदिश से मुक्‍त कर लिया है । आशा है आपकी समस्‍या का हल हो गया होगा नहीं हुआ हो तो पूर्व के पाठों में मतले का कानून को एक बार पुन: पढ़ लें ।

        राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

पंकज जी
आपकी कक्षा में देर से पहुँचा हूँ पर दुरुस्त पहुँचा हूँ। गज़ल पर आपकी सामग्रा और ज्ञान का कायल हुआ जा सकता है।
आभार।
*** राजीव रंजन प्रसाद

उत्‍तर - धन्‍यवाद आपका । देर से आना कोई भी समस्‍या नहीं है पर दुरुस्‍त आना ही बड़ी बात है ।

mehek का कहना है कि -

ये तो समझ आ गया समांतर से लगने वाले शब्द काफिये में हो .,जैसे जहा कहा वहा,ग़ज़ल खुब्सुरा बनती है |अगली कक्षा का इंतज़ार रहेगा

उत्‍तर -  चलिये आपको समझ में आ गया हो तो एकाध शेर भी निकाल के बता दें ताकि ग़रूजी को भी प्रसन्‍नता हो जाए कि हां काम चल रहा है ठीक ।

sahil का कहना है कि -

बहुत अच्छी जानकारी,धन्यवाद सर जी,अबहै की हम भी एक आध मिसरा बना लेंगे
आलोक सिंह "साहिल"

उत्‍तर - जब बना लिजियेगा तो एक ठौ हमहुं को भी दिखाय दिजियेगा हमे भी खुसी होगी ।

         RAVI KANT का कहना है कि -

अच्छी जानकारी दी है।

उत्‍तर - धन्‍यवाद

        tanha kavi का कहना है कि -

पंकज जी,
आप बेहद हीं उम्दा जानकारियाँ मुहैया करा रहे हैं। इसके लिए आपका तहे-दिल से शुक्रिया।
और हाँ आपकी कहानी पढी। सच के बेहद करीब की बातें लिखी हैं आपने।बधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक ’तन्हा’

उत्‍तर - तन्‍‍हा जी मैं मूल रूप से तो कहानीकार ही हूं परंतु कवि भी हूं इसलिये मेरी कहानियों में कविता के स्‍वर आ जाते हैं । आपको कहानी अच्‍छी लगी उस के लिये धन्‍यवाद ।

DR.ANURAG ARYA का कहना है कि -

शुक्रिया पंकज जी
भागदौड़ ओर मुश्किल भरी जिंदगी मी आप ने वक़्त निकालकर अपनी कक्षा के लिए समय निकला. चलिए एक जगह तो ऐसी हुई जहाँ से हम उदाराहरण देकर लोगो को समझा सकते है.
ओर हाँ ,आपकी कहानी पढी, थोडी दुखद है ,उम्मीद है अगली बार कुछ हँसी भी बिखेरेंगे.
बधाई स्वीकार करे

उत्‍तर - धन्‍यवाद आपको । कहानी दुखद है क्‍योंकि वो उसी ट्रेक की कहानी थी । अगली कहानी आपको अलग ही रंग में मिलेगी ।

         hemjyotsana का कहना है कि -

सर जी आपकी जिन्दगी में सुख-शान्ति बने रहे इसी दुआ के साथ
आपका पाठ 8 भी पुरा पढ लिया

उत्‍तर - आपकी शुभकामनाओं के लिये धन्‍यवाद । अभी शायद मुझको इन शुभकामनाओं की ज़रूरत भी अधिक है क्‍योंकि मैं अभी जीवन में कुछ परेशानियों के दौर से होकर गुजर रहा हूं और उस हालते में आपकी शुभकामनाओं की आवश्‍यकता बहुत हैं - आप कुछ लिख कर भी बताएं ताकि पता लगे कि ग़ज़ल की कक्षाओं का लाभ हो रहा है ।

बरबाद देहलवी का कहना है कि -

बहुत बहुत शुक्रिया पंकज जी आप यूं ही हमारा मार्गदर्शन करते रहियेगा ह्म से नौसखियों को बहुत फ़ायदा होता है

उत्‍तर ' धन्‍यवाद आपका आपका नाम बहुत रोचक है । आशा है आपकी शायरी भी इतनी ही दिलचस्‍प होगी ।


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5 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

सर जी हमारी दुआ सदैव आपके साथ है ।
आशा करती हूँ जल्द ही आपके जीवन से परेशानियँ दूर हो और खुशियों का आगमन हो ।

आपके लिये मेरी कविता(जीवन बसन्त ) की कुछ पंक्तियाँ ...

मौसम हैं दो सुख-दुख, ज़िंदगी होती इनसे प्यारी,
जीवन वन में, पतझड़ संग, आती हैं बसंत ऋतु प्यारी।
भूल ले बीते पतझड़ को, शुरू नए सृजन की तैयारी।

दर्द भरे किसी आँगन में, मीठी बच्चे की किलकारी
अंत है होता क्षण भंगुर, पतझड़ पर बसंत, ही भारी।
भूल ले बीते पतझड़ को , शुरु नये सृजन की तैयारी।



आप ने कहा के कुछ लिख कर बताये क्या आप मुझे गज़ल लिखने के लिये कह रहे है या यहाँ मैने क्या क्या सिखा ये लिखने के लिये कह रहे ।

सर जी अभी तक आपने काफ़िया मिलान और जो बातें नियमो की बताई है उने के हिसाब से तो मैंने अब तक कई गज़ले लिखी हैं परन्तु बहर के माप पर वो सही नहीं है । इसलिये मुझे आपकी आगे की कक्षाओं का अधिक इन्तजार हैं परन्तू जल्दी नहीं है ।
क्योंकि आखिरी बाधा पार करना तभी सीखा जा सकता है जब शुरुवाती बाधाओं मे अभ्यतता हो ।

वैसे अब तक मैने यहाँ नया जो सिखा है उनमें सब से मुख्य बात है
मतले के काफ़िये और रदीफ का चयन.... जैसा कि आपने बताया है कि उसके चयन पर ही निर्भर है आगे के शेरो में कितने शब्द हमारे पास उपलब्ध है ।

सादर
हेम

Sajeev का कहना है कि -

पंकज जी टिपण्णी नहीं दे पाया पर आपकी कक्षा में बराबर उपस्थित रहा हूँ, काफिये को लेकर बहुत सी ऐसी बातें थी जो अब तक नहीं पता थी आपके माध्यम से जानने का मौका मिल रहा है, और हाँ आपकी कहानी भी बेहद बढ़िया लगी, युग्म के कहानी कलश को भी अपने योगदान से समृद्ध कीजिए

Yogi का कहना है कि -

शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया

बहुत धन्यवाद सहित

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी का कहना है कि -

पंकज जी, ज़रा समझने में अड़चन सी आ रही है। इस पोस्ट पर गूगल ले कर आया और बस यही जानकारी चाहिये थी मुझे इस वक़्त।

हिलते, खिलते, मिलते- इसमें क़ाफ़िया हो गया "इलते"। अगर हम मत्ले में "चलते" के साथ "मिलते" करेंगे तो क़ाफ़िया क्या हुआ? क्या "लते" रदीफ़ का ही हिस्सा नहीं हुआ? क्या "मिलते" के साथ "चलते" क़ाफ़िया हो सकता है?

Chand Mason का कहना है कि -

This really answered my problem, thank you!

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