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Saturday, December 09, 2006

दिल अभी पास था



एक नज़र कर गई
कुछ यहाँ कुछ यहाँ
दिल अभी पास था
अब कहाँ अब कहाँ

दिन जो खामोश थे
गुनगुनाने लगे
हर घडी यूँ ही हम
मुसकुराने लगे
इस खुशी से है कम
आज ये आसमाँ
दिल अभी पास था
अब कहाँ अब कहाँ

जिन्दगी इक नया
मोड ले आ गई
सादगी की अदा
दिल को धडका गई
किस तरहा मैं करूँ
उस अदा को बयाँ
दिल अभी पास था
अब कहाँ अब कहाँ

तुषार जोशी, नागपुर


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5 कविताप्रेमियों का कहना है :

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

नज़र ने नजर कुछ ऐसा इशारा किया

बस फिर क्या था, हमने दिल तुम्हारा किया।

कुछ ऐसे ही भाव हैं। पसंद आई।

Anonymous का कहना है कि -

जब दिल किसी का हो जाता है तो प्‍यार हो ही जातज है मैंने भी प्‍यार किया है
लेकिन अब तक उनसे न कोई मुलाकत है न अभी तक
उनसे बात हो पाई है । इन दस सालों में उनके लिए चार सौ कविताएं लिखी है
जो किताबों के आकार में छपी है और ये किताबें ही मेरे लिए प्‍यार के ताजमहल
है। संगीताजी के इस अलौकिक प्‍यार ने मुझे अब तक छ: सम्‍मानों से अलंकृत
किया है। प्‍यार हो तो ऐसा कि इतिहास बन जाए । आपकी कविता ने मुझे अपने
दिल की बात कहने के लिए विवश कर दिया ।शुक्रिया
--कृष्‍णशंकर सोनाने
http://krishnashanker.blogspot.com

Anonymous का कहना है कि -

तुषारजी, बहोत खुब ।

Brahma Kumar का कहना है कि -

tushar ji k lekhan me sabse badi khubee nazar aati hai, kisi bhi tarah ki roopsiddhee se bachna aur fashion se bhi bachte huye chalna. yah kaviyon k liye kafi mishkil hota hai. vaise mera anubhav bahut vishad nahin hai fir bhi chalees-pachas k dasak ki pragtisheel lekhan ki tajgi hai. saadhuwad.

Anonymous का कहना है कि -

दिन जो खामोश थे
गुनगुनाने लगे
हर घडी यूँ ही हम
मुसकुराने लगे
acchhi रचना.
alok singh "sahil"

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