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Friday, February 02, 2007

तुम्हारी कमी


ज़िंदगी तो कटती है
धीरे-धीरे कट जायेगी
पर
कमी तुम्हारी रह जायेगी।

छू लूँ आसमान तो क्या
तुम्हारे बिना,
तुमको छूने की हसरत
कवाँरी रह जायेगी।।

लाख बरसे घटायें तो क्या
लाख गाये हवाएँ तो क्या
'तुमको पा न सका'
इन फ़िज़ाओं में , ये
मेरी आह की चिंगारी रह जायेगी।।


कवि- मनीष वंदेमातरम्

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3 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

संक्षिप्त मगर भावयुक्त सम्मपूर्ण कविता.

जीवन में अपनों का योगदान सचमुच अमूल्य होता है और उनके बिना जीवन निरस. यह पंक्तिया खास तौर से पसंद आयी -

छू लूँ आसमान तो क्या
तुम्हारे बिना,
तुमको छूने की हसरत
कवाँरी रह जायेगी।।

Divine India का कहना है कि -

सुंदर कविता मन में अधीरता को जगाता है…धन्यवाद!

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

कुछ पंक्तियाँ संवेदित करती हैं

"तुमको छूने की हसरत
कवाँरी रह जायेगी"

अच्छी कविता है|

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