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Saturday, February 24, 2007

मौसम और प्‍यार


नया - नया मौसम है,
महक रहा उपवन है।
सोने जैसी किरणें हैं,
चंचल बहती पवनें हैं।।

ये सब तेरे होने से हैं,
जब तू सामने आती है।
देख कर मन मचलता जाये,
आँखें तुझ पर ही टिक जाये।।

तू जो मेरे पास आये,
तन के रोम-रोम खुल जाये।
देख कर तेरी काली जुल्‍फें,
दिल को मेरे छूती जाये।।

तेरे ओंठों की लाली,
करती है मुझको मतवाली।
तेरे पायल की छन-छन,
आकर्षित करती है मेरा मन।।

यूँ तेरा रूठ के जाना,
जैसे दिल को लूट के जाना।
देख के तेरी अदाओं को,
दिल चाहे केवल तुझको।।


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6 कविताप्रेमियों का कहना है :

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -
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राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

महाशक्ति जी..नमस्कार

चुटीली कविता है, किसी स्वीट डिश की तरह है यह कविता..

गरिमा का कहना है कि -

राजीव जी से सहमत हुँ। अच्छी और मजेदार कविता है :)

सिर्फ उनके आने से मौसम का रंग बदल जाये
देखना ऐ जगवालो कही हम ना पागल हो जाये :)

Anonymous का कहना है कि -

अच्छे भाव.

SahityaShilpi का कहना है कि -

महाशक्ति जी प्रेमगीत लिखने का आपका प्रयास अच्छा है, पर अभी बात बनी नहीं। और कोशिश कीजिये।

Anonymous का कहना है कि -

tukbandi likhne ka achcha prayas hai .. par abhi kaafi sudhar ki jaroorat .. shayad aapne shailibadalane ki koshis ki hai .. bhav achche hai

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