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Saturday, April 21, 2007

खुन्नस


ऐ जिंदगी कष्ट देगी मुझको कितना?
मैं भी निश्चय जीकर दिखला दूँगा अपना

डाल, डाल मुसिबतें तू चाहे जितनी
मैं समझूँगा सीढीयाँ हैं मेरी उतनी
उन्हीं को चढकर पाऊँगा मैं अपना सपना
मैं भी निश्चय जीकर दिखला दूँगा अपना

आज फिर मेरी खुन्नस है साथ तेरे
छोड़ आया हूँ कायरता के बोझ सारे
रोक सकेगा बढ़ने से अब कोई ना
मै भी निश्चय जीकर दिखला दूँगा अपना

तुषार जोशी, नागपुर

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11 कविताप्रेमियों का कहना है :

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

तुषार जी..
बहुत ही सुन्दर आशावादी रचना है। विशेषकर खुन्नस शब्द का प्रयोग बहुत अच्छा बन पडा है।

*** राजीव रंजन प्रसाद

रंजू भाटिया का कहना है कि -

मैं समझूँगा सीढीयाँ हैं मेरी उतनी
उन्हीं को चढकर पाऊँगा मैं अपना सपना
मैं भी निश्चय जीकर दिखला दूँगा अपना

बहुत ख़ूब !!!

SahityaShilpi का कहना है कि -

आशावादी सोच। तुषार जी आशा है कि आगे आपकी और बेहतर रचनाएं पढ़ने को मिलेंगी।

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

फ़िर से एक आशावादी कविता लाए हैं आप। बढ़िया है, विशेषरूप से इसका शीर्षक 'खुन्नस'

Mohinder56 का कहना है कि -

सुन्दर लिखा है
जीवन सिर्फ फूलोँ की सेज नहीँ, काँटोँ का ताज भी है
वैसे भी
जिन्दगी मेँ अगर आसानियाँ होँ जिन्दगी दुश्वार हो जाये

Vikash का कहना है कि -

"डाल, डाल मुसिबतें तू चाहे जितनी
मैं समझूँगा सीढीयाँ हैं मेरी उतनी"

दिनकर जी की पन्क्तियां याद आ गयीं
'खम ठोक ठेलता है जब नर
पर्वत के जाते पाँव उखड़'

संघर्ष का निश्चय पसंद आया.

सुनीता शानू का कहना है कि -

जिंदगी कष्ट देगी मुझको कितना?
मैं भी निश्चय जीकर दिखला दूँगा अपना
रोक सकेगा बढ़ने से अब कोई ना
मै भी निश्चय जीकर दिखला दूँगा अपना
बहुत सुंदर एवं आशावादी रचना है।
सुनीता(शानू)

Anonymous का कहना है कि -

सुन्दर आशावादी रचना!

पंकज का कहना है कि -

रचना की आत्मा पवित्र है,
लेकिन अगर थोड़ी मेहनत और करते तो प्रवाह भी बेहतर हो सकता था।

"डाल, डाल मुसिबतें तू चाहे जितनी
मैं समझूँगा सीढ़ियाँ हैं मेरी उतनी
"
ज़िन्दगी जीने का ये नज़रिया कितना खूबसूरत है।
वाह।

Anonymous का कहना है कि -

उन्हीं को चढकर पाऊँगा मैं अपना सपना
मैं भी निश्चय जीकर दिखला दूँगा अपना

adamy urja का sanchar करती panktiyan. badhai हो
alok singh "sahil'

Anonymous का कहना है कि -

उन्हीं को चढकर पाऊँगा मैं अपना सपना
मैं भी निश्चय जीकर दिखला दूँगा अपना

adamy urja का sanchar करती panktiyan. badhai हो
alok singh "sahil'

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