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Friday, May 18, 2007

रहेगा ही


तुम आओ
न आओ
तुम्हारा इंतज़ार
तो रहेगा ही।

जो उग आया है
सीने में
तुम्हारे लिए
वो प्यार
तो रहेगा ही।

लाख मुझे भूलने का
दावा करो
चेहरे पर
मुस्कुराहट लाके।
लाख बेवफ़ाई दिखाओ
ग़ैरों के पहलू में जाके।
.......पर मेरे होंठों ने किया था
जो तुम्हारे माथे पर
ताउम्र तुम्हारी पेशानी पर
मेरे प्यार का वो इज़हार
तो रहेगा ही।

कवि- मनीष वंदेमातरम्

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20 कविताप्रेमियों का कहना है :

रंजू भाटिया का कहना है कि -

बहुत ख़ूब मनीष जी ......



सीधे शब्दो में प्यार का सुंदर इज़हार है

मिटाना चाहोगे तो भी मेरे निशान
तुम चाहा के भी मिटा ना पाओगे
बसे हैं हम कुछ ऐसे अब तुझ में
हर जगह अक़्स मेरा ही पाओगे !!

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

हलकी फुलकी रोमांटिक कविता है।

*** राजीव रंजन प्रसाद

आशीष "अंशुमाली" का कहना है कि -

सुन्‍दर कविता बन पड़ी है, 'ताउम्र तुम्हारी पेशानी पर' यह जुमला थोड़ा रिपीट हो रहा है। माथे की बात जब आ गयी फिर पेशानी की बात का क्‍या मतलब....

सुनीता शानू का कहना है कि -

ठीक है,..मगर आपका जो नाम सुना था उसके अनुसार ये कविता कुछ भी नही है,..लगता है आज आपने यूँही चलते-चलते चार लाईने प्यार पर लिख डाली है,.. हाँ अभिव्यक्ती सुंदर है,..महसूस की जा सकती हैं...
सुनीता(शानू)

विपुल का कहना है कि -

उत्क्रष्ट रच्ना है मनीष जी..
कई पंक्तियाँ प्रभावित करती हैं...

.......पर मेरे होंठों ने किया था
जो तुम्हारे माथे पर
ताउम्र तुम्हारी पेशानी पर
मेरे प्यार का वो इज़हार
तो रहेगा ही।

फिर भी.. जो बात इन पंक्तियो में थी वो यहाँ नदारद है

"जो भी आया जज़्बातों की गरमी दे गया
मोनम का दिल था पिघलता गया..
ज़रूर किसी बादल का दिल टूटा है
कल सारी रात पानी बरसता रहा.."

मुझे तो आपसे हमेशा ही ऐसी दिल में अन्दर तक उतर जाने वाली रचना की आकांक्षा रह्ती है.. इंतज़ार रहता है कि कब आपकी रचना प्रकाशित हो...।
आशा है आप मुझे निराश नही करेंगे..

परमजीत सिहँ बाली का कहना है कि -

बहुत सुन्दर भाव लिए एक सुन्दर रचना प्रेषित करने के लिए आप बधाई के पात्र है।

Admin का कहना है कि -

बहुत खूब ------------------------ इन्‍तजार तो रहता ही है

Rajeev का कहना है कि -

Waah manish ji Waah

"Zaroor kisi Badal ka dil tuta hain

kal sari raat pani barsata raha"

Panktiyon ne punah sheetal hriday main aag laga di hain.

Subhan Allah, Subhan Allah

Rajeev pandya

पंकज का कहना है कि -

भाव तो सुन्दर हैं, लेकिन रचना में मनीष जी वाली बात नहीं आ पायी है।

Priya Sudrania का कहना है कि -

मनीष जी,

सुन्दर सरल स्पष्ट और सहज अभिव्यक्ति।
ऍसा लग रहा है मानो प्रेयसी को मजबुरी वश
अपने प्रेमी से अलग होना पड रहा है,
प्रेमी इस मजबुरी को समझ कर शायद अपनी
प्रेयसी से यही कहेगा।

प्रिया

Sajeev का कहना है कि -

शैलेश जी ऎसी रचनाओं का तो इंतज़ार रहेगा ही

Tushar Joshi का कहना है कि -

तुम आओ
न आओ
तुम्हारा ईंतज़ार
तो रहेगा ही।

खट्टी मिठी कविता है।

देवेश वशिष्ठ ' खबरी ' का कहना है कि -

तुम आओ
न आओ
तुम्हारा इंतज़ार
तो रहेगा ही।

छोटी सी, सरल और बडी प्यारी कविता।
यकीनन प्रेम कभी नहीं भुलाया जा सकता है।

Anonymous का कहना है कि -

haan bhai mujhe achii lagi tumhari poem.

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

आप अक्सर जो गहरा दर्द ले आते हैं उसकी कमी यहाँ खल रही है. एक दो पंक्तियां कविता को शिखर पर ले जाती हैं पर बाकी साथ नहीं दे पाती.

विश्व दीपक का कहना है कि -

अच्छी रचना है मनीष जी।
बधाई स्वीकारें।

गीता पंडित का कहना है कि -

सुंदर इज़हार
प्यार का
हलकी फुलकी
रोमांटिक कविता

गीता पंडित का कहना है कि -

प्यार का
सुंदर इज़हार

SahityaShilpi का कहना है कि -

सरल और सुंदर ढंग से प्रेम की अभिव्यक्ति की है। बधाई।

Unknown का कहना है कि -

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