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Friday, August 24, 2007

बारिशों में भीगता शहर


हिंद युग्म के समस्त पाठकों को सप्रेम समर्पित करता हूँ - युग्म के स्थायी कवि के रुप में अपनी पहली प्रस्तुती। उम्मीद है ये आपके मन को भायेगी

बारिशों में भीगता शहर

बारिशों में भीगता है जब ये शहर
मानसून की बारिशों में

सिल जाते हैं जैसे सारे जख्म
बह जाता है जैसे सारा दर्द
सारा तनाव
सड़कों से उबलती आग, कुछ पल को जैसे
ठंडी पड़ जाती है
भीगती इमारतें भीगते पेड़
भीगती गाडियाँ, भीगते लोग
गीले कपड़ों में चमकता जिस्म
भीगे शीशों से झाँकती आँखें

किसी फैले हुए पेड़ की छाँव में
या किसी स्टैंड के तले
ठहर जाती है जिन्दगी - कुछ पल को

सुरमई आकाश बरसता है
आशीर्वाद की तरह
बूंदों की टप-टप स्वरलहरियों से
एक भीनी-भीनी , सौंधी-सौंधी
ठंडक सी उतरती है

बारिशों में भीगता है जब ये शहर...

सजीव सारथी

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14 कविताप्रेमियों का कहना है :

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

सजीव जी,
सर्व-प्रथम तो हिन्द युग्म पर आपका स्थायी कवि के रूप में हार्दिक अभिनंदन।

आपकी कविता बहुत ही सुन्दर है। विवरण और बिम्ब सटीक बन पडे हैं। आरंभ की दो पंक्तियाँ पुनरावृत्ति लगती हैं। दोनों में से एक वाक्य भी अपनी संप्रेषनीयता में परिपूर्ण होगा।

*** राजीव रंजन प्रसाद

SahityaShilpi का कहना है कि -

सजीव जी!
हिन्द-युग्म पर इस नये रूप में आपका स्वागत है.
कविता के विषय में मैं राजीव जी से सहमत हूँ. सचमुच सुंदर कविता है. बधाई!

रंजू भाटिया का कहना है कि -

सजीव जी आपका स्वागत हैं यहाँ .बहुत ही सुंदर भावों से सजी है आपकी यह रचना पढ़ के बहुत अच्छा लगा !!बधाई!

Avanish Gautam का कहना है कि -

बढिया कविता. बहुत बढिया!!

RAVI KANT का कहना है कि -

सजीव जी,
बहुत अच्छा।

किसी फैले हुए पेड़ की छाँव में
या किसी स्टैंड के तले
ठहर जाती है जिन्दगी - कुछ पल को

पढ़कर ऐसा लगता है जैसे सब कुछ प्रत्यक्ष हो रहा हो। बधाई।

उर्मिला का कहना है कि -

Liked the poem.

विपुल का कहना है कि -

सजीव जी आपका स्वागत है युग्म पर ...
कविता बहुत ही सुंदर बन पड़ी है बिंब भी बड़े मोहक हैं कविता पढ़ते समय सारा दृश्य साकार हो उठता है |ख़ूबसूरत रचना...यह पंक्तियाँ विशेषकर बहुत ही अच्छी लगीं -

"किसी फैले हुए पेड़ की छाँव में
या किसी स्टैंड के तले
ठहर जाती है जिन्दगी - कुछ पल को"

मैं सोचता हूं अगर आप "ठहर जाती है जिन्दगी - कुछ पल को" इस पंक्ति को थोड़ा और विस्तार दे देते तो कविता का एक नया और ख़ूबसूरत पक्ष उभर कर सामने आता |
वैसे कविता अभी भी कमतर नही |सुंदर रचना के लिए धन्यवाद ..

Kamlesh Nahata का कहना है कि -

sundar pravah. nirmal bhav...

Anita kumar का कहना है कि -

sajeev ji
badhaai ...bahut hi sunder rachna hai..aapka saawan ke prti prem saaf jhalkta hai..aapki kavita padh apna bhi tan man bheeg gaya

Alok Shankar का कहना है कि -

सजीव जी , हिन्द युग्म पर आपका स्वागत ।

आपकी कविता पढ़ कर अच्छा लगा ।

शोभा का कहना है कि -

सजीव जी
अत्यन्त सुन्दर कोमल भावनाओं से परिपूर्ण रचना के लिए बधाई ।
बारिशो में भीगते शहर का बड़ा ही सुन्दर चित्र खींचा है आपने ।
कुछ तीखा, कुछ खट्टा । मज़ा आ गया ।
सुरमई आकाश बरसता है
आशीर्वाद की तरह
बूंदों की टप-टप स्वरलहरियों से
एक भीनी-भीनी , सौंधी-सौंधी
ठंडक सी उतरती है
बहुत ही सुन्दर बिमब है । शुभकामनाओं सहित ।

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

सिल जाते हैं जैसे सारे जख्म
बह जाता है जैसे सारा दर्द
सारा तनाव

इसी शहर में बारिश के आने पर इसका उल्टा भी होता है जिनका फुटपाथ ही घर है.

विपिन चौहान "मन" का कहना है कि -

सजीव जी...
हिन्द युग्म पर आप का स्वागत है..
आप की रचना बहुत प्यारी लगी..
भाव और काव्य सौंदर्य बहुत सही देखने को मिला है
मैं पिछले कुछ दिनों से हिन्द युग्म को अपनी सेवायें नहीं पाया था..
इसलिये मैं छमा माँगता हूँ..
पिछले ४ दिनों से मैं अस्पताल में था..
मुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है...
क्रपया आप सभी मेरे पुत्र को अपना आशीर्वाद दीजिये..
बहुत बहुत आभार..

raybanoutlet001 का कहना है कि -

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