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Wednesday, October 24, 2007

नन्हा सा पल


मेरे एक पल ने
आज फिर मुझसे कहा है
मैं तुम्हासरे संग
अपना वह
नन्हा सा पल बाँट लूँ
जो अब तक
बस मेरा होकर रहा है ।
वह पल
जिसमें सिर्फ मैं हूँ,
वह नन्हें कण सा
नन्हा पल
जिसमें सिमट कर
मैं भी एक कण सी
हो गई हूँ
और उसमें सिमट गए हैं
मेरे दुःख-सुख,
मेरे आँसू और खुशी,
आशा और निराशा,
प्रेम और नफरत,
दर्द और चुभन,
तृष्णा और अभिलाषा,
उल्लास और अवसाद ।

वह पल
बस मेरा ही होकर
नहीं रहना चाहता
वह तुम्हारा भी होना चाहता है ।
तुम्हारा भी तो
ऐसा ही नन्हें कण सा
कोई पल होगा,
तुम्हारा बिल्कुल अपना,
केवल तुम्हारा पल ... ।
क्या बाँटोगे
मेरे पल के साथ
तुम अपना पल ?


- सीमा कुमार
१६/६/२००१

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13 कविताप्रेमियों का कहना है :

विश्व दीपक का कहना है कि -

क्या बाँटोगे
मेरे पल के साथ
तुम अपना पल ?

सीमा जी,
इतनी मासूमियत से पूछिएगा , तो भला कौन नहीं बाँटना चाहेगा। बहुत हीं खूबसूरत रचना है। एक पल का हवाला देकर आपने पूरी जिंदगी को पेश कर दिया है।
बधाई स्वीकारें।

Mohinder56 का कहना है कि -

सीमा जी,

सुन्दर परिकल्पना के इर्दगिर्द बुना गया ताना बाना है आपकी कविता... सच में कभी कभी जिन्दगी का एक पल बाकी पूरी जिन्दगी से ज्यादा मधुर और प्रिय हो जाता है.

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

अपना वह
नन्हा सा पल बाँट लूँ
जो अब तक
बस मेरा होकर रहा है

वह तुम्हारा भी होना चाहता है

बहुत ही स्पर्श करती हुई रचना। बहुत बधाई।

*** राजीव रंजन प्रसाद

Sajeev का कहना है कि -

क्या बाँटोगे
मेरे पल के साथ
तुम अपना पल ?

komal bhaav, maasoom sawal, sundar abhivyakti

ashok lav का कहना है कि -

Manushaya na sukh akele jee sakta hai na dukh,inhein bantna chaahta hai,anyatha vah akele jeevan ko jeete -jeete oob jayega.Kavyitree apne palon ko bantna chahtee hai,us se jo use apna sambal lagta hai,par duvidha hai,kahin asveekar naa kar de.Kavyitree kee yah sathiti hee kavita hai.
ASHOK LAV,DWARKA,NEW DELHI

vijendra sharma का कहना है कि -

waah seema ji .............

bahut achhe ..........

और उसमें सिमट गए हैं
मेरे दुःख-सुख,
मेरे आँसू और खुशी,
आशा और निराशा,
प्रेम और नफरत,
दर्द और चुभन,
तृष्णा और अभिलाषा,
उल्लास और अवसाद ।

bahootkhub....................

badhaieeeeeeeeeee

regards

शोभा का कहना है कि -

सीमा जी
हमेशा की तरह एक प्यारी सी कविता लिखी है आपने । पढ़कर आनन्द आ गया ।
और उसमें सिमट गए हैं
मेरे दुःख-सुख,
मेरे आँसू और खुशी,
आशा और निराशा,
प्रेम और नफरत,
दर्द और चुभन,
तृष्णा और अभिलाषा,
उल्लास और अवसाद ।
बहुत सुन्दर । बधाई स्वीकारें ।

डाॅ रामजी गिरि का कहना है कि -

वह पल
बस मेरा ही होकर
नहीं रहना चाहता
वह तुम्हारा भी होना चाहता है ।
काफी प्यारा और नजाकत लिए हुए है आपका ये एक पल ...बहुत खूब सीमा जी.

गीता पंडित का कहना है कि -

सीमा जी,

बहुत सुन्दर,
बहुत प्यारी कविता .....

अपना वह
नन्हा सा पल बाँट लूँ
जो अब तक
बस मेरा होकर रहा है


वह पल
जिसमें सिर्फ मैं हूँ,

बधाई ।

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

पल
हाँ पल
पलकों पर
सजा पल
पल पल
प्रति पल
बाँटना चाह्ता हूँ
हर पल
मैं विव्हल
बस मिले तो
कोई पल

-बधाई

प्रवीण परिहार का कहना है कि -

सीमा जी,

बहुत ही सुन्दर और मधुर रचना ले लिए बधाई ।

Anonymous का कहना है कि -

seema ji ekbar fir pyari si rachna ke liye badhai.
alok singh "Sahil"

raybanoutlet001 का कहना है कि -

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