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Monday, November 12, 2007

याद आए तो जागना बेहतर


मैं एक छोटी बहर की ग़ज़ल आज पेश कर रहा हूँ जिसके कुछ शेर में ऐसे शब्द प्रयोग किए गए हैं जो अमूनन रिवायती ग़ज़ल में पढने को नहीं मिलते. मेरा ये प्रयोग पसंद आया या नहीं कृपया बताएं.

जिक्र तक हट गया फ़साने से
जब से हम हो गए पुराने से

लोग सुनते कहाँ बुजुर्गों की
सब खफा उनके बुदाबुदाने से

जोहै दिलमें जबांपे ले आओ
दर्द बढ़ता बहुत दबाने से

रब को देना है तो यूंही देगा
लाभ होगा ना गिड़गिड़ाने से

याद आए तो जागना बेहतर
मींच कर आँख छटपटाने से

राज बस एक ही खुशी का है
चाहा कुछ भी नहीं ज़माने से

गम के तारे नज़र नहीं आते
याद का तेरी चाँद आने से

देख बदलेगी ना कभी दुनिया
तेरे दिन रात बड़बड़ाने से

बुझ ही जाना बहुत सही यारों
बेसबब यूं ही टिमटिमाने से

वो है नकली ये जानलो "नीरज "
जो हँसी आए गुदगुदाने से

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10 कविताप्रेमियों का कहना है :

Avanish Gautam का कहना है कि -

बहुत खूब!

रंजू भाटिया का कहना है कि -

याद आए तो जागना बेहतर
मींच कर आँख छटपटाने से

राज बस एक ही खुशी का है
चाहा कुछ भी नहीं ज़माने से

बहुत खूब नीरज जी ..बहुत ही सुंदर लगी यह बधाई

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

लाजवाब गजल नीरज जी...

बहुत खूब..

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

वाह वाह क्या बात है.
आपका यह प्रयोग अच्छा है.
अवनीश तिवारी

शोभा का कहना है कि -

नीरज जी
अच्छी गज़ल लिखी है ।
याद आए तो जागना बेहतर
मींच कर आँख छटपटाने से

राज बस एक ही खुशी का है
चाहा कुछ भी नहीं ज़माने से

गम के तारे नज़र नहीं आते
याद का तेरी चाँद आने से
उम्दा़ गज़ल है ।

Vinay का कहना है कि -

बहुत प्यारी ग़ज़ल है नीरज जी ..बधाई ...

Mohinder56 का कहना है कि -

नीरज जी,

छोटे बहर की सुन्दर गजल.. आपका प्रयोग सफ़ल रहा..सभी शेर सुन्दर बन पडे हैं.. बधाई

विश्व दीपक का कहना है कि -

रब को देना है तो यूंही देगा
लाभ होगा ना गिड़गिड़ाने से

याद आए तो जागना बेहतर
मींच कर आँख छटपटाने से

वो है नकली ये जानलो "नीरज "
जो हँसी आए गुदगुदाने से

उम्दा गज़ल है नीरज जी। छोटे बहर के होने पर भी रदीफ और काफिया को आपने बखूबी संभाला है। इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं।

-विश्व दीपक 'तन्हा'

"राज" का कहना है कि -

नीरज जी!!
शब्दों का प्रयोग सफ़ल रहा....बहुत अच्छी लगी आपकी यह गजल....बधाई स्वीकारो!!
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जिक्र तक हट गया फ़साने से
जब से हम हो गए पुराने से

गम के तारे नज़र नहीं आते
याद का तेरी चाँद आने से

बुझ ही जाना बहुत सही यारों
बेसबब यूं ही टिमटिमाने से
********************

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

वाह---वाह---वाह

आप तो ग़ज़ल के मास्टर हैं। चलिए अब सधी हुईं ग़ज़लें पढ़ने को मिलेंगी।

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