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Wednesday, December 05, 2007

बादल का एक टुकड़ा


मैं
बादल का
एक टुकड़ा हूँ
और तुम
बरखा की शीतल बूँदें
मैं
खाली - खाली सा
बादल का एक टुकड़ा
और तुम्हारा प्यार
बादल टुकडे को
भर देने वाली,
उसे उसका स्वरूप देने वाली
जल की असंख्य बूँदें
मैं
बादल का
एक छोटा सा टुकड़ा
और तुम
मेरा पूरा आसमान,
मैं
सीमाओं से निर्मित
और तुम अनंत आकाश

- सीमा कुमार
१७/६/९९

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15 कविताप्रेमियों का कहना है :

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

'सीमा' को असीमित आकाश में
बादल को बूँदों के पाश में

सच हम तो खो गये
आपकी कल्पना में
चित्रित आभास में

बढिया लिखा है..

रंजू भाटिया का कहना है कि -

सीमा जी बहुत सुंदर भाव हैं इस रचना के

मैं
बादल का
एक छोटा सा टुकड़ा
और तुम
मेरा पूरा आसमान,
मैं
सीमाओं से निर्मित
और तुम अनंत आकाश


प्रेम के बहुत ही सुंदर रूप नज़र आया इस में और यही नारी के प्रेम को उच्च भाव को दर्शाती है
बधाई इस सुंदर भाव भीनी रचना के लिए !!
सस्नेह
रंजू

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

मैं
सीमाओं से निर्मित
और तुम अनंत आकाश

निचोड प्रस्तुत करती सुन्दर पंक्तियाँ।

*** राजीव रंज़न प्रसाद

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

सुंदर तुलना है प्रेम की.
अवनीश तिवारी

Sajeev का कहना है कि -

मीठी धूप सी कविता

Anonymous का कहना है कि -

प्रेम की इतनी प्यारी अभिव्यक्ति!
सीमा जी आपकी रचना आपकी काव्य रचना की अपरिमिति समा को दर्शाता है.
प्रेम को प्रेम भरी शुभकामनाएं
अलोक सिंह "साहिल"

शोभा का कहना है कि -

सीमा जी
बहुत सुन्दर कविता लिखी है।
मैं
बादल का
एक छोटा सा टुकड़ा
और तुम
मेरा पूरा आसमान,
मैं
सीमाओं से निर्मित
और तुम अनंत आकाश

वाह ।

Alpana Verma का कहना है कि -

मैं
बादल का
एक छोटा सा टुकड़ा
और तुम
मेरा पूरा आसमान,
मैं
सीमाओं से निर्मित
और तुम अनंत आकाश

अच्छी अभिव्यक्ति है,
----

Unknown का कहना है कि -

सीमा जी

बहुत सुंदर बिम्ब भाव .....

Anupama का कहना है कि -

एक छोटा सा टुकड़ा
और तुम
मेरा पूरा आसमान,
मैं
सीमाओं से निर्मित
और तुम अनंत आकाश

chota sa khayaal dil ki gaheraaiyon tak pahuch gaya....

anuradha srivastav का कहना है कि -

सीमा जी, कोमल सी अनुभूति देती प्यारी सी कविता बहुत पसन्द आयी।

मनीष वंदेमातरम् का कहना है कि -

सीमा जी!

अपनी सीमा में विस्तृत एक सुंदर रचना।

Anonymous का कहना है कि -

सीमा जी
-आपकी कविता मै बहुत ही अच्छी उपमा दी गयी है, और उसी को कई तरह से चरितार्थ किया गया है
-और बहुत अछे तरह से सरल शब्द मै कहा गया है
-
बधाई
शैलेश चन्द्र जम्लोकी (मुनि )

विश्व दीपक का कहना है कि -

खाली - खाली सा
बादल का एक टुकड़ा
और तुम्हारा प्यार
बादल टुकडे को
भर देने वाली,
उसे उसका स्वरूप देने वाली
जल की असंख्य बूँदें

बहुत हीं सुंदर रचना है सीमा जी। बादल और जल का ऎसा तालमेल मैने पहले नहीं पढा था। बधाई स्वीकारें।

-विश्व दीपक 'तन्हा'

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

कविता इस प्रकार लिखतीं तो अधिक सुंदर बनती-

मैं
बादल का
एक टुकड़ा हूँ
और तुम
बरखा की शीतल बूँदें

और तुम्हारा प्यार
बादल टुकडे को
भर देने वाली,
उसे उसका स्वरूप देने वाली
जल की असंख्य बूँदें

और तुम
मेरा पूरा आसमान,
मैं
सीमाओं से निर्मित
और तुम अनंत आकाश

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