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Sunday, January 20, 2008

अंत.....


तुम

जीवन्यास अधबीते जीवन का
पदचिह्न अधूरे पथ का
स्वर अधूरी कविता का ..........


तुम

सुबह का पीला छिटका अबीर
गोधुली में धूसरित नदी का धार
गहन अन्धकार में स्निग्ध चंदन टीका ....


तुम


स्थिर,चंचल ,
वक्र,सीधा
अक्षय ,अव्यय.....



और मैं...

शापित दलदल में फँसा अन्धकार
फ़िर भी पुण्य - कमल का मल्हार
चिर पनघट .......

ऐसे में तुम्हारा अंत ........
जीवन में ,रस्ते पर ,कविता में
अध बनी मूर्ति के सामने
धूप की आरती के समान ......

सुनीता यादव

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12 कविताप्रेमियों का कहना है :

Prabhakar Pandey का कहना है कि -

सुंदर और यथार्थ रचना। उम्दा लेखन।

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

सुंदर अभिव्यक्ति |

अवनीश तिवारी

Unknown का कहना है कि -

बहुत सुंदर सुनीता !

अच्छा लगता है आपकी रचनाओं को पढ़ना काव्य का यह रस लुप्तप्रायः सा होता चला जा रहा है ....

शुभकामना

विश्व दीपक का कहना है कि -

सुनीता जी,
आपने बड़ी हीं गूढ कविता लिखी है। ऎसी कविता पढना दिल को सुकून देता है। मुझे आपकी रचना बहुत हीं पसंद आई।
चलिए अब थोड़ी कमी भी निकाल दूँ, कहीं कहीं लिंग-संबंधी अशुद्धियाँ मुझे दिखीं मसलन "नदी का धार"।
इसपर ध्यान दीजिएगा।

परंतु, पूरे तौर पर आपकी रचना काबिले-तारीफ है।
बधाई स्वीकारें।

-विश्व दीपक 'तन्हा'

Alpana Verma का कहना है कि -

*सुनीता जी आप की रचनाएँ अलग रंग-ढंग की हैं.जो पसंद आयीं .
*अच्छी प्रस्तुति.

Anonymous का कहना है कि -

tum aur mai ki parikalpana,ek alag dhang se prastut,sach apki kavita padhna achha anubhav hota hai.

Anonymous का कहना है कि -

वाह सुनीता जी वाह! क्या सुंदर अभिव्यक्ति है, आनंद आ गया.
बहुत ही प्यारी कविता
आलोक सिंह साहिल"

रंजू भाटिया का कहना है कि -

जीवन्यास अधबीते जीवन का
पदचिह्न अधूरे पथ का
स्वर अधूरी कविता का ........

सुंदर लिखी है आपने यह सुनीता जी !!

Dr. sunita yadav का कहना है कि -

आप सभी को मेरा नमस्कार व हार्दिक स्नेह भी ...सच कहूँ जब आप सभी कविताओं को पढ़ते हैं ,मेरी गलतियाँ सुधारते हैं तो अत्यन्त आनंद होता है .. आप का स्नेह बना रहे ..तभी तो कुछ और अच्छा लिख सकूंगी ...
सुनीता

seema gupta का कहना है कि -

जीवन्यास अधबीते जीवन का
पदचिह्न अधूरे पथ का
स्वर अधूरी कविता का ........

सुंदर बहुत ही प्यारी कविता

Regards

Mohinder56 का कहना है कि -

सुनीता जी,

छुट पुट व्याकरणिक त्रुटियों को दरकिनार किया जा सकता है क्योंकि आप हिन्दी भाषी नहीं हैं.. इसे देखते हुये आपने सुन्दर शब्दों को एक लयवद्ध तरीके से पिरो कर सुन्दर रचना रची है

बधाई

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

गूढ कविताई करती हो आप..

देर तक बाँधे रखने वाली सुन्दर रचना..
बहुत बहुत बधाई

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