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Saturday, February 16, 2008

प्रेम उत्सव पर……





प्रेम की बातें
दिल को नहीं भाती है
फूलों के मौसम में जब
कलियाँ मुरझाती हैं
बसन्त में पतझड़ का
रंग आ रहा है
और .....
देश का युवा वर्ग
प्रेम उत्सव मना रहा है


प्रान्तीयता के राक्षस ने
आतंक मचाया है
चीखों और पुकारों से
सारा देश थर्राया है
दिल में दर्द आँखों में
नीर आ रहा है
और .....
देश का युवा वर्ग
प्रेम उत्सव मना रहा है


माता शर्मिन्दा है
सन्तान के कुकृत्यों पर
खून की होली पर
अपनों की लाशों पर
उसका अंग-अंग
पीड़ा से कराह रहा है
और .....
देश का युवा वर्ग
प्रेम उत्सव मना रहा है



प्रेम एक उत्सव है तो
कुछ इस तरह मनाओ
हर दिल में प्रेम की
पवित्र गंगा बहाओ
कुचल दो उसे
जो कहर ढ़ा रहा है
और .
कहो उसको जाकर
कि ज्वार आरहा है


एकता की विरोधी
ताकतों को मिटाओ
राष्ट्रीयता को जीवन का
आधार बनाओ
देश के हर कोने से
यही स्वर आ रहा है
शिव नेत्र देख
मदन घबरा रहा है
और .....
देश का युवा वर्ग
प्रेम उत्सव मना रहा है



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18 कविताप्रेमियों का कहना है :

seema gupta का कहना है कि -

प्रेम एक उत्सव है तो
कुछ इस तरह मनाओ
हर दिल में प्रेम की
पवित्र गंगा बहाओ
कुचल दो उसे
जो कहर ढ़ा रहा है
और .
कहो उसको जाकर
कि ज्वार आरहा है
" इस कवीता के द्वारा आपने एक अच्छा संदेश देने का प्रयत्न किया है , अब देखना ये है की आज का युवा वर्ग इसको किस तरह लेता है , सुंदर रचना के लिए बधाई. "
Regards

Harihar का कहना है कि -

शोभा जी सही कहा
बसन्त में पतझड़ का
रंग आ रहा है
और .....
देश का युवा वर्ग
प्रेम उत्सव मना रहा है

रंजू भाटिया का कहना है कि -

प्रेम का बातें
दिल को नहीं भाती है
फूलों के मौसम में जब
कलियाँ मुरझाती हैं
बसन्त में पतझड़ का
रंग आ रहा है
और .....
देश का युवा वर्ग
प्रेम उत्सव मना रहा है

हाँ मनाया तो सबने और यह भी खबर आई कि भारतीय लोग रोमांस जाहिर करने में बहुत आगे हैं ..:) अच्छी लगी आपकी रचना शोभा जी .!!

Anonymous का कहना है कि -

प्रान्तीयता के राक्षस ने
आतंक मचाया है
चीखों और पुकारों से
सारा देश थर्राया है
दिल में दर्द आँखों में
नीर आ रहा है
और .....
देश का युवा वर्ग
प्रेम उत्सव मना रहा है
शोभा जी हम भारतीय भी बड़े अजीब होते हैं,किसी भी संस्कृति को अपने में आत्मसात करने की गफलत में हम जाने क्या क्या अपनाते जाते हैं, यह प्रेम का तथाकथित पावन दिन भी कुछ ऐसा ही है जो..........खैर,अच्छा संदेश,अच्छी कविता,
शुभकामनाएं
आलोक सिंह "साहिल"

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

आपके इस विचार धारा से मैं सहमत हूँ |
लेकिन मुझे लगता है की केवल युवा वर्ग ही नही लगभग सभी लोग मना रहे है |
अवनीश तिवारी

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

शोभा जी बहुत ही सुन्दर रचना, सही बात कही है आपने..

बहुत बहुत बधाई

mehek का कहना है कि -

बहुत ही मर्मीक रचना ,प्रेम का एकता का संदेस देती,बधाई.

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

शिव नेत्र देख
मदन घबरा रहा है
और .....
देश का युवा वर्ग
प्रेम उत्सव मना रहा है

वाकई चिंतनीय स्थिति है शोभा जी।

Anonymous का कहना है कि -

आपकी कविता से में काफी प्रेरित हूँ सच इस देश के युवा भौतिकवादी हो गए हैं , आपकी कोशिश काफी अच्छी है
Jitendra

Unknown का कहना है कि -

प्रान्तीयता के राक्षस ने
आतंक मचाया है
चीखों और पुकारों से
सारा देश थर्राया है
दिल में दर्द आँखों में
नीर आ रहा है
और .....
देश का युवा वर्ग
प्रेम उत्सव मना रहा है

शोभा जी क्या कहूं .......
शुभकामनाएं बधाई शायद ऐसा कुछ नहीं कह कर मैं भी आपकी उपरोक्त पंक्तियों में छिपे भाव का हमसफ़र हूँ

Unknown का कहना है कि -

एकता की विरोधी
ताकतों को मिटाओ
राष्ट्रीयता को जीवन का
आधार बनाओ
देश के हर कोने से
यही स्वर आ रहा है
शिव नेत्र देख
मदन घबरा रहा है
और .....
देश का युवा वर्ग
प्रेम उत्सव मना रहा है
देश का युवा वर्ग
इस से बाहर कब आएगा, कौन जाने ?
सुमित भारद्वाज

Sajeev का कहना है कि -

शोभा जी प्रेम से ये विरोध क्यों........ ये तो युवाओं का हक है...... मुझे आपकी इस कविता में कुछ भटकाव सा लगा....

शोभा का कहना है कि -

सजीव जी
मेरा विरोध प्रेम से नहीं है किन्तु जब राष्ट्र हिंसा की आग में जल रहा हो उस समय प्रेम की बातें राष्ट्र के प्रति अपराध है। वैसे ये मेरी व्यक्तिगत सोच है आप अगर ऐसे समय में प्रेम -उत्सव मनाना चाहें तो आपको कोई नहीं रोक सकता ।

RAVI KANT का कहना है कि -

शोभा जी, आपकी चिन्ता जायज है। हालांकि मैं इससे भी सहमत हुँ कि यह युवा वर्ग तक ही सीमित नही है। एक अच्छी रचना।

विश्व दीपक का कहना है कि -

प्रेम एक उत्सव है तो
कुछ इस तरह मनाओ
हर दिल में प्रेम की
पवित्र गंगा बहाओ
कुचल दो उसे
जो कहर ढ़ा रहा है
और .
कहो उसको जाकर
कि ज्वार आरहा है

बहुत हीं अच्छे विचार हैं शोभा जी!हर इंसान जो प्रेम दिवस के दिन अपने प्रेमी या प्रेमिका से प्रेम का इजहार करता है , वह अगर शपथ ले कि पूरे वर्ष दूसरों से प्रेम करेगा,ईर्ष्या या द्वेष नहीं रखेगा तो प्रेम उत्सव का औचित्य सफल होगा।

-विश्व दीपक ’तन्हा’

Alpana Verma का कहना है कि -

''प्रान्तीयता के राक्षस ने
आतंक मचाया है
चीखों और पुकारों से
सारा देश थर्राया है
दिल में दर्द आँखों में
नीर आ रहा है
और .....
देश का युवा वर्ग
प्रेम उत्सव मना रहा है''
भावपूर्ण रचना .
आप की चिंता भी अपनी जगह बिल्कुल सही है.

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

शोभा जी,

आजकल प्रूफ़-रीडिंग का काम नहीं कर रही हैं क्या :)

प्रेम का बातें- प्रेम की बातें

कविता पर अध्यापकीय शैली का प्रभाव देखा जा सकता है।

Mohinder56 का कहना है कि -

शोभा जी,

सत्य वचन... देश की प्रतिष्ठा जब आन पर हो तो वह समय प्रेमालाप का नहीं..ललकार का है

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