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Wednesday, March 26, 2008

किससे खेलूँ होली रे !


वैसे तो होली जा चुकी है..लेकिन रंग अभी भी चढ़े हुए हैं...

पी हैं बसे परदेश,
मै किससे खेलूँ होली रे !

रंग हैं चोखे पास
पास नही हमजोली रे !
पी हैं बसे परदेश,
मै किससे खेलूँ होली रे !

देवर ने लगाया गुलाल,
मै बन गई भोली रे !
पी हैं बसे परदेश,
मै किससे खेलूँ होली रे !

ननद ने मारी पिचकारी,
भीगी मेरी चोली रे !
पी हैं बसे परदेश,
मै किससे खेलूँ होली रे !

जेठानी ने पिलाई भाँग,
कभी हंसी कभी रो दी रे !
पी हैं बसे परदेश,
मै किससे खेलूँ होली रे !

सास नही थी कुछ कम,
की उसने खूब ठिठोली रे !
पी हैं बसे परदेश,
मै किससे खेलूँ होली रे !

देवरानी ने की जो चुहल
अंगिया मेरी खोली रे !
पी हैं बसे परदेश,
मै किससे खेलूँ होली रे !

बेसुध हो मै भंग में
नन्दोई को पी बोली रे !
पी हैं बसे परदेश,
मै किससे खेलूँ होली रे !

कवि कुलवंत सिंह

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14 कविताप्रेमियों का कहना है :

anju का कहना है कि -

अच्छा है कवि कुलवंत जी
एक भारतीय परिवार का वर्णन किया
अच्छी रचना

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

:(


*** राजीव रंजन प्रसाद

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

अच्छा पारिवारिक वर्णन है |

अवनीश तिवारी

रंजू भाटिया का कहना है कि -

सुंदर लगी आपकी यह रचना कवि जी !!

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

हा हा हा .. बढिया .


होली इतनी जमकर होली
फिर भी रही शिकायती बोली रे !
पी हैं बसे परदेश,
मैं किससे खेलूँ होली रे..

Unknown का कहना है कि -

कवि कुलवंत जी, आप की रचना होली के रंगो की तरह बहुत ही प्यारी और रंगीन है
बहुत खूब ,
बधाई

RAVI KANT का कहना है कि -

होली की मस्ती साफ़ झलकती है रचना में।

Alpana Verma का कहना है कि -

बहुत प्यारी सी कविता है.
सभी को याद कर लिया है गौरी ने --.चलिये होली के बहाने ही सही!

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

यह क्या है?

seema gupta का कहना है कि -

सुंदर रचना
Regards

Unknown का कहना है कि -

होली के प्रवाह और रंग से सराबोर :|

विश्व दीपक का कहना है कि -

कविता को भंग पीकर हीं पढा जा सकता है, नहीं तो निराश करती है। भंग पीने के बाद वैसे भी हरेक धुन होरी हीं लगती है । अच्छा है...... :)

-विश्व दीपक ’तन्हा’

seema sachdeva का कहना है कि -

लगता है आपने भांग पीकर यह कविता लिखी है , बुरा न मानो होली है .....सीमा सचदेव

Anonymous का कहना है कि -

हिन्दी युग्म में सारे एसे ही poets हैं क्या?

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