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Friday, July 11, 2008

शहीद बेटे का पहला दूध पीना याद आ गया


यूनिकवि प्रतियोगिता के तीसरे पायदान के कवि विनय के॰ जोशी भी देवेन्द्र पाण्डेय की तरह कई बार शीर्ष १० में स्थान बना चुके है। ऐसा बहुत कम ही होता है कि इनकी कविता टॉप १० में न रहे। इस बार इनकी कविता भूकंप ने यह कमाल किया है।

पुरस्कृत कविता- भूकंप

भूकंप
जो पिछले दिनों
आया था शहर में
कुछ ज्यादा ही
जोर से था
मैं तो जलजले की
अभ्यस्त थी पर
मकान में दरारे आ गई
कुछ दिनों बाद
एक कारीगर बुलाया
और मरम्मत करवा दी
जाते-जाते उसने कहा .....
दरारों मे भरी सीमेंट की
तराई करना |
पानी की धार को
सीमेंट ने
एकदम सोंख लिया
मुझे अपने
शहीद बेटे का
पहला दूध पीना
याद आ गया |
फिर तराई के लिए
पानी की जरुरत न रही |



प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ६॰६५, ३॰५
औसत अंक- ५॰०८
स्थान- तेरहवाँ


द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ६॰८, ५॰२५, ५, ७॰६, ५॰०७५(पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ५॰९५
स्थान- तीसरा


पुरस्कार- मसि-कागद की ओर से कुछ पुस्तकें। संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी अपना काव्य-संग्रह 'मौत से जिजीविषा तक' भेंट करेंगे।

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11 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

जोशी जी,आपकी क्षणिकाओं से मुखातिब होता रहा हूँ,आज आपके शब्दों के भूकंप से भी अवगत हो गया.बहुत अच्छा लगा.बधाई स्वीकार करें
आलोक सिंह "साहिल"

Smart Indian का कहना है कि -

विनय जी, अच्छा काव्य है बधाई!

सीमा सचदेव का कहना है कि -

मुझे अपने
शहीद बेटे का
पहला दूध पीना
याद आ गया |
फिर तराई के लिए
पानी की जरुरत न रही |
bahut hi maarmik

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

मुझे अपने
शहीद बेटे का
पहला दूध पीना
याद आ गया |
फिर तराई के लिए
पानी की जरुरत न रही

bahut achhe vinay ji,
badhai..

Sajeev का कहना है कि -

बहुत खूब, भाव और प्रतीक सुंदर

pallavi trivedi का कहना है कि -

bahut achchi rachna....sundar bhaav.

BRAHMA NATH TRIPATHI का कहना है कि -

बहुत अच्छा विनय जी काफ़ी अच्छे तरीके से आपने भूकंप के जख्म को उकेरा है
टॉप १० में स्थान पाने के लिए बधाई

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

विनय जी,

आपकी कविताएँ छोटी होते हुए भी तेज धार वालीं होती हैं। इसमें यथार्थ है। बधाई।

devendra kumar mishra का कहना है कि -

आपने भूकंप के जख्म को उकेरा है आपकी कविताएँ छोटी होते हुए भी तेज इसमें यथार्थ है।

करण समस्तीपुरी का कहना है कि -

पानी की धार को
सीमेंट ने
एकदम सोंख लिया
मुझे अपने
शहीद बेटे का
पहला दूध पीना
याद आ गया |

विश्वास नही होता की ऐसे नवीन बिम्ब इक्कीसवी सदी के किसी कवि के कलम से निकले हैं ! अत्यन्त संवेद्य !!

Vinaykant Joshi का कहना है कि -

स्नेह प्रदान कराने हेतु आभार |
विद्वानों की टिप्पणियां कलम की उत्प्रेरक होती है |
सादर
विनय के जोशी

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