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Friday, August 29, 2008

यमराज बोले अरे प्रहलाद तू जल और मेरे साथ चल


आपके समक्ष यूनिकवि प्रतियोगिता के जुलाई २००८ अंक की १३वीं कविता प्रस्तुत है। प्रस्तुत कविता के रचयिता उत्कर्ष चतुर्वेदी The Symbiosis Institute of Media & Communication (SIMC), Pune में पढ़ाई करते हैं। मूलतः भिवानी मंडी (राज॰) के रहने वाले हैं, १२वीं तक की पढ़ाई-लिखाई इंदौर से हुई।

कविता- होली

सालों बाद फिर प्रहलाद और होलिका जलने बैठे थे
प्रहलाद अपने ही अपने में कुछ ऐसे ऐठे थे
यमराज ने पूछा तुम दोनो में कौन जल रहा है,
बताओं मेरे साथ ऊपर कौन चल रहा है ।
होलिका ने कहा अभी मुझे बहुत काम करना है,
अभी तो करोड़ ही मरे है इस देश के 99 करोड़ को और मारना है,
अभी तो नेताओं ने मुझे अपने घर बुलाया है,
क्योंकि अभी तो एक नहीं दो करोड़ खिलाया है।
अभी ईमानदारी को इस देश में और दबाना है,
और यहां तो बेईमानी का ही जमाना है।
प्रहलाद बोला कि मुझे इस देश से आतंकवाद मिटाना है
शोषण और भ्रष्टाचार को पूरी तरह हटाना है
यमराज बोले अरे प्रहलाद तू जल और मेरे साथ चल
होलिका तो अपना काम जल्दी खत्म कर सकती है।
पर तेरा काम जल्द खत्म हो जाए, ऐसी नहीं कोई शक्ति है।
मेरे मरने के बाद तक भी तेरा काम पूरा नहीं हो पाएगा
और इस देश में तो तुम्हे कोई पोटा के तहत अन्दर कर जाएगा।
तेरी हालत देखकर मेरी आंखें नम है
और तेरी बातो में भी काफी दम है ।
पर क्या करूं ऊपर भी सत्ता में शोर है
और वहाँ पर भी, राम का नहीं रावण का ही जोर है ।


प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ४, ३, ५, ६॰१, ७
औसत अंक- ५॰०२
स्थान- बीसवाँ


द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक-५, ४॰५, ५॰०२(पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ४॰८४
स्थान- तेरहवाँ

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8 कविताप्रेमियों का कहना है :

BRAHMA NATH TRIPATHI का कहना है कि -

अच्छा व्यंग है आपका कविता के रूप में उत्कर्ष जी पढ़कर अच्छा लगा

Unknown का कहना है कि -

तेरी हालत देखकर मेरी आंखें नम है
और तेरी बातो में भी काफी दम है ।
पर क्या करूं ऊपर भी सत्ता में शोर है
और वहाँ पर भी, राम का नहीं रावण का ही जोर है ।
बहुत ही अच्छा वयंग्य

सुमित भारद्वाज

पंकज सुबीर का कहना है कि -

अच्‍छे भाव हैं आपकी कविता में बधाई

Unknown का कहना है कि -

गुरू जी(पंकज सुबीर जी)
आप की दी गई शिक्षा से मैने भी कुछ कुछ गजल लिखनी सीख ली है

मेरा प्रणाम स्वीकार करें

सुमित भारद्वाज

Unknown का कहना है कि -

गुरू जी,
मुझे रदीफ चुनने मे दिक्कत आ रही है
मुझे ये लगता है कि मै जो रदीफ रख रहा हूँ वो पहले ही तो किसी ने नही रख रखा
और बिना रदीफ के गजल मे कुछ कमी सी लगती है
कृपया मेरी समस्या का समाधान कीजीये

Unknown का कहना है कि -

सुमित भारद्वाज

दीपाली का कहना है कि -

उत्कर्ष जी,अपने एक अच्छे विषय पर कविता लिखी है.यह व्यंग-काव्य पूर्णतः सफल है.

Harihar का कहना है कि -

उत्कर्ष जी बहुत अच्छा व्यंग्य है

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