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Wednesday, September 24, 2008

अब, आस्था, लड़कियाँ और पहला चुम्बन


अब-1
अब कौन कहता होगा
तुम्हारी अंगड़ाइयों को हवाएँ,
नहीं झेलनी पड़ती होंगी ना
वे पागल कविताएँ।

अब-2
अब भी भरती होगी वो गली
बारिशों में लबालब,
पैर सन जाते होंगे ना
दो बाँहों के बिना?

अब-3
अब कहाँ होता होगा
बिन छुए प्यार,
कौन होगा बेवकूफ़
कि तेरी आँखें ही देखता रहे!

लड़कियाँ
शुक्र है कि
भगवान ने बनाई लड़कियाँ
वरना पुराने दोस्तों से मिलने पर
क्या बच जाता कॉमन,
बात करने को?

आस्था
वो मुस्कुराते हुए
चढ़ती थी सीढ़ियाँ
तो हाय राम!
भीड़ जुट जाती थी मन्दिर में,
गेरुआ पहन लेते थे
शहर के सारे नास्तिक।

पहला चुम्बन
पहले चुम्बन के बाद
उसे आई थी शर्म,
इतनी कि
लाल चेहरा छिपाने को
फिर मेरे होठों में आ छुपी थी।

अब-4
अब तो नहीं छीनता होगा
सुबह सुबह कोई अख़बार।
आराम से पढ़ती हो ना
फ़िल्मों वाला पन्ना
अब अकेले?

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

30 कविताप्रेमियों का कहना है :

Puja Upadhyay का कहना है कि -

khoobsoorat.
khas taur se akhbar akele padhne ka vaakya

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

बाँध दिया ना उपर का पलक
सर के बालों से और
नीचे का बिनूना दाढी से
अब !
फिर से गुनाहगार गौरव की कलम ही है ।

Alok Shankar का कहना है कि -

अब कहाँ होता होगा
बिन छुए प्यार,
कौन होगा बेवकूफ़
कि तेरी आँखें ही देखता रहे!
:))

फ़िरदौस ख़ान का कहना है कि -

अब कौन कहता होगा
तुम्हारी अंगड़ाइयों को हवाएँ,
नहीं झेलनी पड़ती होंगी ना
वे पागल कविताएँ।


अच्छी पंक्तियां हैं...

जितेन्द़ भगत का कहना है कि -

हूँ.... अच्‍छी बात है-
वो मुस्कुराते हुए
चढ़ती थी सीढ़ियाँ
तो हाय राम!
भीड़ जुट जाती थी मन्दिर में,
गेरुआ पहन लेते थे
शहर के सारे नास्तिक।

Nikhil का कहना है कि -

अलमस्त होके लिखी हैं "कमबैक" क्षणिकाएं....क्या बात है.....नए मूड में देखकर अच्छा लगा..."मीटिंग" का असर तो नहीं है....
ये ख़ास तौर से अच्छी लगीं....
"अब भी भरती होगी वो गली
बारिशों में लबालब,
पैर सन जाते होंगे ना
दो बाँहों के बिना?"

"अब कहाँ होता होगा
बिन छुए प्यार,
कौन होगा बेवकूफ़
कि तेरी आँखें ही देखता रहे!"

"वो मुस्कुराते हुए
चढ़ती थी सीढ़ियाँ
तो हाय राम!
भीड़ जुट जाती थी मन्दिर में,
गेरुआ पहन लेते थे
शहर के सारे नास्तिक।"

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

क्षणिकाएं मीटिंग से पहले की ही हैं निखिल भाई। मीटिंग के बाद का अभी कुछ पोस्ट नहीं किया है। :)

विश्व दीपक का कहना है कि -

अब-३ , आस्था और लड़कियाँ पसंद आईं। बाकी में लगा कि कुछ चुक रहा है।

बधाईयाँ।

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

आते ही कमाल कर दिया। सभी बढ़िया है भाई। 'चुम्बन' वाला अधिक कलात्मक है। अंतिम में 'अब अकेले?' नहीं भी होता तो काम चल जाता। आपका क्या कहना है?

मेरी तरह के नास्तिक इलाहाबाद के हनुमान मंदिर तो इसीलिए जाते थे (याद है मुझे :) )

Divya Prakash का कहना है कि -

"अब कहाँ होता होगा
बिन छुए प्यार,
कौन होगा बेवकूफ़
कि तेरी आँखें ही देखता रहे!"
विशेष रूप से पसंद आई !!
और हाँ बढ़िया है शैलेश बहाने से ही सही ,मन्दिर तो जाते रहे.....

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

हल्का सा मुझे भी लगा तन्हा भाई। ध्यान रखूंगा।

शैलेश जी, मैं तो जीवन में गिनी चुनी बार ही मंदिर गया हूं :) और इसलिए तो नहीं जा पाया।

makrand का कहना है कि -

पहला चुम्बन
पहले चुम्बन के बाद
उसे आई थी शर्म,
इतनी कि
लाल चेहरा छिपाने को
फिर मेरे होठों में आ छुपी थी।
what a way
lines are well composed
regards

neelam का कहना है कि -

शुक्र है कि
भगवान ने बनाई लड़कियाँ
वरना पुराने दोस्तों से मिलने पर
क्या बच जाता कॉमन,
बात करने को?

ye common si baat bhi bahut achchi hai ,likhte rahiye ,

Anonymous का कहना है कि -

अनुभूति को सहज सुंदर अभिव्यक्त करने में आओ सफल हुए हैं,सफर जारी रखें श्याम सखा श्याम

Anonymous का कहना है कि -

abki bar aayee kavita yugm par anoonimus ki badhhee

Avanish Gautam का कहना है कि -

मुझे इनका हयुमर पसंद आया. बधाई!

Sajeev का कहना है कि -

gauarv is back with a bang और पूरे युग्म पर जश्न है....कमाल

parag.architect@gmail.com का कहना है कि -

pehle chumban bahut pasand aayi mujhe....
mubarak ho gaurav saab.....
bahut achche.......

Shailesh Jamloki का कहना है कि -

वाह ..बहुत सुन्दर..

जितनी तारीफ की जाइए कम है..

शैलेश

Anonymous का कहना है कि -

अब कहाँ होता होगा
बिन छुए प्यार,
कौन होगा बेवकूफ़
कि तेरी आँखें ही देखता रहे!
नए अंदाज में सच्ची बातें .बहुत अच्छी लगी शायद एसा ही होता है
सादर
राचना

शोभा का कहना है कि -

हमेशा की तरह बहुत अच्छा लिखा है. सस्नेह.

Anonymous का कहना है कि -

"अब कहाँ होता होगा
बिन छुए प्यार,
कौन होगा बेवकूफ़
कि तेरी आँखें ही देखता रहे!"

kuch pagal hain ab bhi...

Anonymous का कहना है कि -

गौरव भाई,तीसरी क्षणिका ने तो कमाल कर दिया.
बाकि सभी क्षणिकाएं भी अच्छी लगी.
युग्म पर आपको फ़िर से देखकर बहुत खुशी हुई.
आलोक सिंह "साहिल"

Straight Bend का कहना है कि -

"ख़याल फेंका है रफ्तार-e-बेपनाह के साथ..
..
यूँ उडे के खुदा तक पहुंचे ....!
.
.
के उसके पार जो जाएगा मुझ तक पहुंचेगा !"
- गुलज़ार

आपकी क्षणिकाएं पढ़ कर ये क्षणिका याद आई है!

दीपाली का कहना है कि -

हिन्दयुग्म पर कई दिनों के बाद कुछ ऐसा पढने को मिला जो ख़ुद से अब तक बांधे हुए है.सभी छंद बहुत ही सुंदर है....
हर बार पढने पर अलग-अलग रंग नज़र आता है.

Unknown का कहना है कि -

गौरव जी,
पढते ही पता लग गया कि ये आपने लिखा होगा

पढकर अच्छा लगा

अब तो नहीं छीनता होगा
सुबह सुबह कोई अख़बार।
आराम से पढ़ती हो ना
फ़िल्मों वाला पन्ना
अब अकेले?
ये वाला बहुत ही बढिया लगा

सुमित भारद्वाज

Dr.Kumar Vishvas का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

सारी क्षणिकायें पसंद आईं.. पर ये वाली थोड़ी ज्यादा
अब कहाँ होता होगा
बिन छुए प्यार,
कौन होगा बेवकूफ़
कि तेरी आँखें ही देखता रहे!

लिखते रहें गौरव भाई... पढ़कर अच्छा लगता है..

Lalit Bhushan (ललित भूषण) का कहना है कि -

i like u dear. can u talk with me?

adidas nmd का कहना है कि -

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