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Friday, September 19, 2008

आम आदमी



मैं एक
आम आदमी हूँ
अज़र-अमर
और शाश्वत


हर बार मुझे
कुचला, जलाया
सताया जाता है
फिर भी--
हर बार ज़िन्दा
हो जाता हूँ --


एक संजीवनी है
जो हर बार
जिला जाती है


नेता,अभिनेता
पुलिस अधिकारी
सभी कर्मचारी
मेरी ही फिक्र में
घुलते रहते हैं


मुझे नष्ट करने के
स्वप्न बुनते रहते हैं
किन्तु मेरा कुछ
नहीं बिगाड़ पाते


मेरी जिजीविषा
कभी नहीं मरती
मेरे अन्तर में
विश्वास की लौ
जगमगाती है


और मुझे
विश्वास दिलाती है
कि मैं विशिष्ट हूँ
अति विशिष्ट


इसीलिए मुझे
मिटाने वाले मिट गए
और मैं आज भी
जिए जा रहा हूँ
संकटों में भी
मुसकुरा रहा हूँ ।




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16 कविताप्रेमियों का कहना है :

Nikhil का कहना है कि -

बेहद सीधी और बेहद असरदार कविता....

seema gupta का कहना है कि -

इसीलिए मुझे
मिटाने वाले मिट गए
और मैं आज भी
जिए जा रहा हूँ
संकटों में भी
मुसकुरा रहा हूँ
"shandaar shabon mey srahney kaveeta"

Regards

Avanish Gautam का कहना है कि -

शोभा जी! बढिया...बहुत बढिया!!

जितेन्द़ भगत का कहना है कि -

एक आम आदमी की ताकत उसकी जीजि‍वि‍षा ही है-
इसीलिए मुझे
मिटाने वाले मिट गए
और मैं आज भी
जिए जा रहा हूँ
संकटों में भी
मुसकुरा रहा हूँ ।

अच्‍छे भाव।

Anonymous का कहना है कि -

बेहद सहज तरीके से परोसी गई,लाजवाब कविता.
आलोक सिंह "साहिल"

Alok Shankar का कहना है कि -

Shobha ji, aapne apne style me badlaw kiya,
aur kya khoob kiya.
bahut hi asardar.

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

सीधे-सरल शब्दों में बड़ी बात।
कविता आम आदमी के लिए लिखी गयी है और आम आदमी तक पंहुचने का दम रखती है।
बधाई----।
-देवेन्द्र पाण्डेय।

Vinaykant Joshi का कहना है कि -

मैं एक
आम आदमी हूँ
अज़र-अमर
और शाश्वत
.
इन शब्दों में बहुत वज़न है,
बधाई, अच्छी रचना के लिए |
सादर,
विनय

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

शोभा जी,
बहुत साधारण शब्द.. पर असर जबर्दस्त..
"हर बार मुझे
कुचला, जलाया
सताया जाता है
फिर भी--
हर बार ज़िन्दा
हो जाता हूँ --


एक संजीवनी है
जो हर बार
जिला जाती है "...

Anonymous का कहना है कि -

शोभा जी
आप की सभी कवितायें मुझे पसंद आती है आप बहुत अच्छा लिखती हैं
सादर
रचना

Smart Indian का कहना है कि -

बहुत खूब! यह कविता दिल में गहराई तक उतर गयी.

Harihar का कहना है कि -

मेरी जिजीविषा
कभी नहीं मरती
मेरे अन्तर में
विश्वास की लौ
जगमगाती है

बहुत सुन्दर कविता !शोभा जी

विश्व दीपक का कहना है कि -

badhiya lekhan.

badhai sweekarein.

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

आपकी शोभा कलम है, युग्म की शोभा आप
शीतल हिम सम लेखनी, भाव आपके भाप ।

Anonymous का कहना है कि -

वाकई खूबसूरत ,सरल,सहज बह रही है कविता श्याम सखा श्याम

Rajesh का कहना है कि -

मेरी जिजीविषा
कभी नहीं मरती
मेरे अन्तर में
विश्वास की लौ
जगमगाती है
really Shobhaji, as usual, beautiful kavita, aam aadmi ki jijivisha ka varnan kartai hui...

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