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Sunday, September 07, 2008

ये भी क्या जिन्दगी हुई साहिब


घर जला, रोशनी हुई साहिब
ये भी क्या जिन्दगी हुई साहिब

है न मुझको हुनर इबादत का
सर झुका, बन्दगी हुई साहिब

भूलकर खुदको जब चले हम, तब
दोस्ती आपसे हुई साहिब

तू नही और ही सही कहना
क्या भला आशिकी हुई साहिब

खुद से चलकर तो ये नहीं आई
दिल दुखा, शायरी हुई साहिब

जीतकर वो मजा नहीं आया
हारकर जो खुशी हुई साहिब

तुम पे मरकर दिखा दिया हमने
मौत की बानगी हुई साहिब

'श्याम' से दोस्ती हुई ऐसी
सब से ही दुश्मनी हुई साहिब

फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन

--डॉ॰ श्याम सखा 'श्याम'

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12 कविताप्रेमियों का कहना है :

श्रीकांत पाराशर का कहना है कि -

Bhulkar khud ko jab chale hum,tab dosti aapse hui saheb. vah saheb,kya linen hain.

MANVINDER BHIMBER का कहना है कि -

bahut hi achcha likha hai...bhaaw bhi achach hai....
achcha laga

Straight Bend का कहना है कि -

Sir, your compositions and Ghazals are amazing. I am one of your fans.

वीनस केसरी का कहना है कि -

श्याम सखा जी बहुत सुंदर गजल है
और आपने हमारी विनती को ध्यान में रखते हुए रुक्न लिखे इसके लिए धन्यवाद
आपका वीनस केसरी

SURINDER RATTI का कहना है कि -

श्याम जी, बहुत सुंदर ग़ज़ल है, एक जगह शायद आपका काफिया छूट गया है
भूलकर खुदको जब चले हम, तब
दोस्ती आपसे हुई साहिब
एक गुजारिश है रुक्न फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन आपने दी है उसका वजन भी देंगे तो अच्छा होगा हमारे नए पाठकों को और लेखकों कुछ सीखने को मिलेगा - सुरिन्दर रत्ती मुंबई

Anonymous का कहना है कि -

शुक्रिया इसे यूँ पढ़ें
आपसे दोस्ती हुई साहिब ग़लत टंकित हो गया श्याम सखा shyam
2122,1212,211

Anonymous का कहना है कि -

अति सुंदर ग़ज़ल
बधाई
सादर
रचना

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

'श्याम' से दोस्ती हुई ऐसी
सबसे दुश्मनी हुई साहिब।
--वाह क्या बात है।
-देवेन्द्र पाण्डेय।

करण समस्तीपुरी का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
करण समस्तीपुरी का कहना है कि -

व्यावसायिक प्रतिबद्धता ने क़तर डाले पर शौक के ! पढने में हो गयी बहुत देर लेकिन, ग़ज़ल लाजवाब है साहिब !!

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

बढ़िया है गुरु

Sajeev का कहना है कि -

है न मुझको हुनर इबादत का
सर झुका, बन्दगी हुई साहिब
बहुत बढ़िया जनाब मज़ा आ गया....कमाल लिखा है

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