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Wednesday, October 15, 2008

-आधा-दिल


-आधा-दिल


डॉक्टर ने
सरगोशी के लहजे में कहा
सुनो !
एक दिल में
चार वाल्व होते हैं
और
तुम्हारे दो वाल्व खराब हैं
दो वाल्व
माने आधा -दिल
अब तुम्ही कहो
इस आधे दिल में
किसे रक्खूं
तुम्हें या अपने गमों को
तुम्हें तो
स्वस्थ शरीर व जवां दिल
मिल जाय़ेंगे
मेरे गम
बेचारे कहां जायेंगे


2 अदालतें फरियाद नहीं सुनती

अदालतें
फरियाद नहीं सुनती
केवल
गवाही सुनती हैं
सबूत
मांगती हैं
सबूत देखती हैं
फैसले लिखती हैं
न्याय नहीं करती
अदालतों की कलम पर
वकीलों व दलीलों का पहरा है
कानून सचमुच
अन्धा एवं बहरा है।

3-इतिहास

भूखे
पेट रह
मनुस्पलैटी के बम्बे
से पानी पीकर
मैंने
क्रान्ति गीत लिख थे
अब स्काच से
भूख जगाकर
मैं सत्ता का
इतिहास लिखा करता हूँ।


4-पुलिस

पुलिस
दयालु है
वह गुंडो को भी
कुछ नहीं कहती
हां
पुलिस
सचमुच दयालु है
वह गुण्डों को ही
कुछ नहीं कहती

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17 कविताप्रेमियों का कहना है :

neelam का कहना है कि -

डॉक्टर ने
सरगोशी के लहजे में कहा
सुनो !
एक दिल में
चार वाल्व होते हैं
और
तुम्हारे दो वाल्व खराब हैं
दो वाल्व
माने आधा -दिल
अब तुम्ही कहो
इस आधे दिल में
किसे रक्खूं
तुम्हें या अपने गमों को
तुम्हें तो
स्वस्थ शरीर व जवां दिल
मिल जाय़ेंगे
मेरे गम
बेचारे कहां जायेंगे

subhaan allah ,humaari baat apki kalam se ,hum bhi aadhaa dil hi rahte hain ,shyaam ji

Unknown का कहना है कि -

क्षणिकाए अच्छी लगी

सुमित भारद्वाज

Anonymous का कहना है कि -

चारों कवितायें , न केवल यथार्थ उकेरती हैं बल्कि दिल को हिला कर रख दिया इन पंक्तियों ने ,स्मिता

विश्व दीपक का कहना है कि -

१,३ और ४ बेहद पसंद आईं।
२ भी अच्छी है, कथ्य को थोड़ा और मज़ेदार तरीके से कहा जा सकता था।

बधाई स्वीकारें।

शोभा का कहना है कि -

डॉक्टर ने
सरगोशी के लहजे में कहा
सुनो !
एक दिल में
चार वाल्व होते हैं
और
तुम्हारे दो वाल्व खराब हैं
दो वाल्व
माने आधा -दिल
अब तुम्ही कहो
इस आधे दिल में
किसे रक्खूं
तुम्हें या अपने गमों को
तुम्हें तो
स्वस्थ शरीर व जवां दिल
मिल जाय़ेंगे
मेरे गम
बेचारे कहां जायेंगे
वाह! बहुत सुंदर.

दीपाली का कहना है कि -

अब तुम्ही कहो
इस आधे दिल में
किसे रक्खूं
तुम्हें या अपने गमों को
तुम्हें तो
स्वस्थ शरीर व जवां दिल
मिल जाय़ेंगे
मेरे गम
बेचारे कहां जायेंगे

मुझे सबसे अच्छी लगी..

Anonymous का कहना है कि -

क्या बात है कितना सच लिखा है बहुत खूब
सादर
रचना

Anonymous का कहना है कि -

क्या बात है कितना सच लिखा है बहुत खूब
सादर
रचना

Nikhil का कहना है कि -

क्षणिकाओं पर अब हिंद युग्म को एक अलग संकलन पर विचार करना चाहिए....

निखिल

Anonymous का कहना है कि -

bahut hi khubsurat kshanikaye hian shyam ji.
alok singh "sahil"

महेश कुमार वर्मा : Mahesh Kumar Verma का कहना है कि -

हां
पुलिस
सचमुच दयालु है
वह गुण्डों को ही
कुछ नहीं कहती

बात सही है पुलिस गुंडे को ही कुछ नहीं कहती.

बहुत अच्छा लिखा है. धन्यववाद.



अदालतों की कलम पर
वकीलों व दलीलों का पहरा है
कानून सचमुच
अन्धा एवं बहरा है।

बहुत ही अच्छा व सही बात की ओर आपने ध्यान दिलाया है. सचमुच आज न्यायालय में भी नहीं है न्याय>

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

श्याम सखा श्याम है
या रचना का ड्राम है

लघु कवितायें सुन्दर रहीं..
बधाई..

Anonymous का कहना है कि -

आप सभी को धन्यवाद ,श्याम सखा `श्याम

विपुल का कहना है कि -

श्याम जी.. मैं दुविधा में हूँ कि इन्हे क्षणिका कहूँ या कविताएँ..
जो भी हैं बहुत अच्छी हैं.. वैसे शायद इन्हे छोटा करके इनमें चौंकाने वाले तत्व की मात्रा अधिक करके और प्रभावी बनाया जा सकता था..
यह भी बहुत अच्छी रहीं..

Anonymous का कहना है कि -

sundar kshanikayein.
alok singh "sahil"

Sajeev का कहना है कि -

श्याम जी बहुत खूब आधा दिल ...उफ़ .....बधाई

सुधि सिद्धार्थ का कहना है कि -

आपको पढ़कर बहुत अच्छा लगा हर कविता में अपनी बात बिल्कुल साफ नज़र आती हैं वैसे तो मैं टिप्पणी के योग्य नहीं हूं पर वाकई कविताओं में लगता हैं कि हर किसी के दिल की बात को सामने रख दिया हो बहुत-बहुत बधाई...सुधी सिद्घार्थ.

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