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Saturday, October 11, 2008

क्षणिकाएँ


1 आरक्षण

अमावस्या से पंचमी:ग़रीबी रेखा
पंचमी से दशमी:मध्यम वर्ग
दशमी से चौदस:उच्च वर्ग
और पूनम के लिए
टाटा,बिड़ला,अंबानी|
इस तरह तय हुआ..
चाँद का आरक्षण!


2 बढ़ता चाँद


उफ्फ!
ये फूले गाल ..
चेहरे पर बढ़ती उजलाहट
और भरा हुआ तन!
पूनम को विदा होगी|
शादी होने ही वाली है
चाँद की!


3 घटता चाँद

रोज़ हारता है उसे
बेचता है थोड़ा-थोड़ा
जुआरी है
चाँद का पति!


4 काजल


उसके फूटकर रोने से
बह जाता है काजल!
काला हो जाता है तन
लेकिन विज्ञान
कुछ और ही बताता है
अमावस का कारण!


5 तारे

प्यार की कब्र है चाँद..
बिखरे हैं उस पर
तारों के अनगिनत फूल!
आज..
एक चमकीले तारे में दिखा मुझे
वो फूलों सा चेहरा!


6 धूल


चलना ज़िद है या मजबूरी
नहीं जानता!
लेकिन इस पंखे की
पंखुड़ियों पर
जमी है..
बेहिसाब धूल!


7 बात

सुनो..
मैं जब मर जाऊँगा
तब तो मेरी बात मानोगी ना ?
अपनी कब्र पर
खुदवा दूँगा मैं
"यहाँ रोना मना है!"


8 बेवफा


जो वफ़ा का वादा ही ना करे
उसे बेवफा नही कहते
काश..
तुम बेवफा होतीं!


9 ग़रीबी

उसने कहा था
तुम्हारे आँसू
मोतियों-से कीमती हैं!
कम्बख़्त..
ग़रीबी दूर कर गयी!


10 ख़ुदकुशी

पागल था!
बटुआ खो गया
तो ख़ुदकुशी कर ली
कहते हैं.
उसमें किसी की
तस्वीर रखी थी!


11 मामला

पुराने यादों से
कल तबीयत बिगड़ गयी!
मामला दर्ज़ है
उपभोक्ता फोरम में
इल्ज़ाम है..
नहीं बताई उसने
यादों की एक्सपायरी डेट!

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15 कविताप्रेमियों का कहना है :

Unknown का कहना है कि -

विपुल जी आप की "क्षणिकाएँ" बहत ही सुन्दर लगी । बढिया लिखा आपने । बधाई

दीपाली का कहना है कि -

पागल था!
बटुआ खो गया
तो ख़ुदकुशी कर ली
कहते हैं.
उसमें किसी की
तस्वीर रखी थी!
....
बहुत बढ़िया लिखा है.
"आरक्षण,बढ़ता चाँद,घटता चाँद,
काजल"ये तो बहुत ही अच्छे है.क्या सोच है ....

Smart Indian का कहना है कि -

उत्कृष्ट क्षणिकाएं, विपुल जी. धन्यवाद!

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

बेहतरीन क्षणिकाएँ
पढ़कर तबियत मस्त हो गई
लगता है आज का दिन अच्छा है।
--देवेन्द्र पाण्डेय।

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

चाँद शृंखला की क्षणिकाएँ और ग्यारहवीं क्षणिका पसंद आई। पहले से तो कलम में बहुत निखार आया है। अच्छे संकेत हैं।

Straight Bend का कहना है कि -

रोज़ हारता है उसे
बेचता है थोड़ा-थोड़ा
जुआरी है
चाँद का पति!
-------------
पागल था!
बटुआ खो गया
तो ख़ुदकुशी कर ली
कहते हैं.
उसमें किसी की
तस्वीर रखी थी!

Anonymous का कहना है कि -

पागल था!
बटुआ खो गया
तो ख़ुदकुशी कर ली
कहते हैं.
उसमें किसी की
तस्वीर रखी थी!


सभी बहुत अच्छी है पर ये बहुत अच्छी लगी
सादर
रचना

Unknown का कहना है कि -

bahut sahi ..........good job

Unknown का कहना है कि -

कुछ क्षणिकाए पसंद आयी कुछ ठीक ठीक लगी

सुमित भारद्वाज

Unknown का कहना है कि -

7,8,9,10,11 पसंद आयी

abhi का कहना है कि -

बहुत बढियां विपुल पढ़ कर मज़ा अ गया. बहुत दिनों बाद तुम,हरी रचनायें पढने को मिली बहुत ही अच्छी लिखी है.

विश्व दीपक का कहना है कि -

majaa aa gaya.......
sabhi uttam hain.......2-4 ati-uttam bhi hain......

badhai sweekaro

Anonymous का कहना है कि -

बहुत सुंदर और अर्थपूर्ण भाषा का प्रयोग किया है

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

1. क्षणिकायें !
विस्फोट करती हैं और फिर सन्नाटा
मुझे डर है लोग तुम्हें अराजक
ना समझ बैठें

2. कलम है या सी.एन.जी बन्दूक
धुँआ भी नही और अन्दर तक
घायल कर गयी..

Alok Shankar का कहना है कि -

रोज़ हारता है उसे
बेचता है थोड़ा-थोड़ा
जुआरी है
चाँद का पति

y achcha laga .
kshanika mahotsav chalta rahe

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