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Friday, August 03, 2007

जग समझा वर्षा ऋतु आयी


अंबर के अंतस की पीड़ा, श्याम-वर्ण बादल बन छायी
झर-झर झरते अश्रु गगन के, जग समझा वर्षा ऋतु आयी

मेघाच्छादित गहन रात में, बैठा थामे कलम हाथ में
सोच रहा था लिख डालूँ सब, जो गुजरा अंबर के साथ में
आँसू छलक पड़े आँखों से, सहसा याद तुम्हारी आयी

उस दिन जब देखा था तुमको, हाथ लिये पूजा की थाली
सादा कपड़े, सुंदर चेहरा, दीप जलाती आँखें काली
तुमने जल ढाला तुलसी पर, मेरे मन मूरत वह भायी

चंद मुलाकातों में हमने, इक दूजे को दिल दे डाला
मेरा हर इक सपना तुमने, अपनी आँखों में रख पाला
मेरे हर दुख में तुम रोयीं, अपनी हर तकलीफ छिपायी

किन्तु काश ऐसा हो जाता, सपने सभी सत्य हो पाते
कितना सुंदर होता जीवन, तुम यदि जीवन में आ जाते
बिछड़े हमको अर्सा बीता, सपनों से न गयी परछायीं

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29 कविताप्रेमियों का कहना है :

रंजू भाटिया का कहना है कि -

किन्तु काश ऐसा हो जाता, सपने सभी सत्य हो पाते
कितना सुंदर होता जीवन, तुम यदि जीवन में आ जाते
बिछड़े हमको अर्सा बीता, सपनों से न गयी परछायीं...

बहुत ही सुंदर लगी यह रचना आपकी ...अजय ज़ी ....

गीता पंडित का कहना है कि -

अंबर के अंतस की पीड़ा, श्याम-वर्ण बादल बन छायी
झर-झर झरते अश्रु गगन के, जग समझा वर्षा ऋतु आयी

मेघाच्छादित गहन रात में, बैठा थामे कलम हाथ में
सोच रहा था लिख डालूँ सब, जो गुजरा अंबर के साथ में
आँसू छलक पड़े आँखों से, सहसा याद तुम्हारी आयी
wah.......
bahut sundar
panktiyaan...

man ko chhoo gayeen

ajay ji

badhaaee

s-snah
gita p....

Mohinder56 का कहना है कि -

बहुत सुन्दर भाव,

निश्चय ही हमेशा सत्य वह नही होता जो हम देखते हैं.. अम्बर की पीडा को कौन समझ सकता है.
अनकहे, अनबूझे प्यार और मिलने से पहले की जुदाई को आपने सुन्दर शब्दों में व्यक्त किया है. बधाई

Anil Arya का कहना है कि -

मेरे हर दुख में तुम रोयीं, अपनी हर तकलीफ छिपायी


मन को भिगो गई, बहुत सुंदर यह रचना !! बधाई....

anuradha srivastav का कहना है कि -

अंबर के अंतस की पीड़ा, श्याम-वर्ण बादल बन छायी
झर-झर झरते अश्रु गगन के, जग समझा वर्षा ऋतु आयी
बहुत खूब लिखा है । सपने भी कभी-कभी सच हो जाते है
उम्मीद रखिये ।

कंचन सिंह चौहान का कहना है कि -

बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति!

Unknown का कहना है कि -

Ati sunder...

Dil ko choo gayi...

Dhanyawaad... aapkey jaisey insaano ki badaulat hamari savendan sheelta badti hai...

God Bless you...

पंकज का कहना है कि -

अजय जी,
क्या बात है।
बस मज़ा आ गया।

Anupama का कहना है कि -

Aacha likh ahai aapne...mujhe khaas taur se yeh panktiyaan bahut pasand aai....

किन्तु काश ऐसा हो जाता, सपने सभी सत्य हो पाते
कितना सुंदर होता जीवन, तुम यदि जीवन में आ जाते
बिछड़े हमको अर्सा बीता, सपनों से न गयी परछायीं

Alok Shankar का कहना है कि -

अंबर के अंतस की पीड़ा, श्याम-वर्ण बादल बन छायी
झर-झर झरते अश्रु गगन के, जग समझा वर्षा ऋतु आयी

bahut sundar ajay ji..
is baar aapki rachna ne prasann kar diya

डाॅ रामजी गिरि का कहना है कि -

मेघाच्छादित गहन रात में, बैठा थामे कलम हाथ में
सोच रहा था लिख डालूँ सब, जो गुजरा अंबर के साथ में
आँसू छलक पड़े आँखों से, सहसा याद तुम्हारी आयी.


सावन में उठती प्रेम-विरह वेदना का सुन्दर वर्णन

विश्व दीपक का कहना है कि -

झर-झर झरते अश्रु गगन के, जग समझा वर्षा ऋतु आयी।

शुरूआत हीं जब इतना सुंदर है, तो पूरी रचना कैसी होगी , इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

किन्तु काश ऐसा हो जाता, सपने सभी सत्य हो पाते
कितना सुंदर होता जीवन, तुम यदि जीवन में आ जाते
बिछड़े हमको अर्सा बीता, सपनों से न गयी परछायीं

आप उम्मीद न हारें, वो मिलेंगी हीं।

एक अच्छी रचना के लिए बधाई स्वीकारें।

विपुल का कहना है कि -

एक अत्यंत ही उत्कृष्ट रचना के लिए बढ़ाई स्वीकरें !कविता की शुरुआत की पंक्तियाँ ही मान मोह लेती हैं जो अंत तक बराबर बरक़रार रहता है

"अंबर के अंतस की पीड़ा, श्याम-वर्ण बादल बन छायी
झर-झर झरते अश्रु गगन के, जग समझा वर्षा ऋतु आयी"

Anonymous का कहना है कि -

बहुत ही भाव युक्त और कला पक्ष कि और से सम्ृद्धित काव्य है.....
पढ़कर आनाद भी आया और दुख भी हुआ.....
बधाइयाँ
gati ant tak barkarar hai..

RAVI KANT का कहना है कि -

वाह भाई कविता तो पाठक को अपने प्रवाह मे बहा ले जाने योग्य है।ऐसी रम्य रचना के लिए आप बधाई के पात्र हैं।

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

सबसे पहले क्षमाप्रार्थी हूँ देरी के लिए, लेकिन पढ़ मैंने तभी ली थी, जब आपने इसे प्रकाशित किया था।
बहुत सुन्दर और मनमोहक रचना है। लगभग हर पंक्ति ही उल्लेखनीय है, इसलिए अपनी पसन्द की नहीं लिख पाऊँगा। एक कमी भी मुझे लगी। रचना अधूरी सी लगती है।
फिर भी बहुत अच्छा लगा पढ़कर।

शोभा का कहना है कि -

varsha ritu per bahut hi sundar kavita likhi hai aapne. ye ritu hai hi aisi . is per kitne hi kavityon ne bahut kuch likha hai, kavi prasad ne bhi isper bahut sundar likha tha .
jo ghani bhut peeda thi
mastak main smriti si chhayi
durdin main ansu ban kar
veh aj barasne ayi

OMVEER CHAUHAN का कहना है कि -

namaskar ajay jiii
aapki is sundar rachana ke liye aapko badhaeya
man ko mohne baali rachna he
bhaw dil ko choo jaate he
aapne spne ko moti rupi shabdo me pirokar sjeevita la di he
ajay ji aisa nahi he ki sapne keval sapne hote he ye sach bhi hote he
kisi ne kaha he---
aasmako pankho se nahi chua jaata
hoslon me udan hoti he
manzil unko milti he jinke sapno me jaan hoti he
apki rachna bohat achhi lagi
der se comments dene ke liye chhama chahta ho
मेघाच्छादित गहन रात में, बैठा थामे कलम हाथ में
सोच रहा था लिख डालूँ सब, जो गुजरा अंबर के साथ में
आँसू छलक पड़े आँखों से, सहसा याद तुम्हारी आयी
चंद मुलाकातों में हमने, इक दूजे को दिल दे डाला
मेरा हर इक सपना तुमने, अपनी आँखों में रख पाला
मेरे हर दुख में तुम रोयीं, अपनी हर तकलीफ छिपायी
kafi achha likha he
asha karta hu aap aise hi sundar sundar kavitaye likhe raho
aapki is kavita ke liye ek baar fir se dhanyavad

OMVEER CHAUHAN

Unknown का कहना है कि -

wah mann sahab
hame aapki rachana bahut pasand aayi.
badayi ho.

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

आपकी पहली पंक्ति पढ़ते ही मुझे मनीष जी की ग़ज़ल का एक शे'र याद आया-

ज़रूर किसी बादल का दिल टूटा है
सारी रात आज पानी बरसता रहा।

इसे पूरा यहाँ पढ़ा जा सकता है।

मगर जब कविता पूरा पढ़ा तो सावन में भींगने की तरह प्रेम-रस में भींग गया। आप हमेशा मेरी उम्मीदों से अधिक बढ़िया लिख रहे हैं। शिल्पगत विशेषताएँ बढ़ती जा रही हैं और भावों की तो ऐसे भी आपके पास कमी नहीं है।

अभिषेक सागर का कहना है कि -

अच्छा शब्दकोष है आपका। कविता सरल सहज होते हुए भी संस्कृतनिष्ठ है। सुन्दर शैली।

-रचना सागर

Anonymous का कहना है कि -

i really didn't understand the meaning of this poem

Unknown का कहना है कि -

sar apka kavita mujhe bahut achcha laga app or

Unknown का कहना है कि -

sar apka kavita mujhe bahut achcha laga app or

vijay का कहना है कि -

thik thak hai

Unknown का कहना है कि -

bahut hi man ko moh lenewali kavita hai

Unknown का कहना है कि -

bahut hi man ko moh lenewali kavita hai

Anonymous का कहना है कि -

very well presented & well done keep it up & let us read such good stories again & again...........

Unknown का कहना है कि -

who is this poem's writter

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